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ਜਲੰਦਰ
नाम्बड जाम्ब,
एर्रजाम पण्डु, एर्र-गोय्या पण्डु, जाम् कोइला - ते० । चेम्-पर- चेम्-पेरक्क, चोवन्न- मलाक केप्पर, पालम - पेर मल० । केम्पु - शिवे इराणु - कना० । ताम्बड-तूप- केल - मह० लाल पियार, लालपेरु, ल ल जामरूद गु० । रत पेर, रत पेरगडि - सिं० । मालकी-नी, मलक्का बेन -बर० | मोधरियान - श्रासा० । ताम्बड-पेरु - बम्ब० ।
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( २ ) श्वेत श्रमरूद, सफेद श्रमरूत, सीडियम पायरिफेरम् Psidium Pyriterum, Linn. ( Fruit of- White Guava ) - ले० । सुफ़ेद सफरी आम सुफ़ेद जाम्-द० | घोप गोत्र श्राछि फल, सादा पियारा - बं० | अमरूदे अबैज़ - अ० । अमरूदे सुपेद -- फा० । वेल्लह गोथ्या-पज़म ता० । तेल्ल जाम- पण्डु, तेल्ल-गोय्या - पण्डु - ते० । वेड़-पेश - पेरक्क, वेल्ल मला कप्पेर -मल० 1 विलि. शिबे-हरणु-कना० । पाढंर-जाम्ब, पांढर तूप केल - मह० । उज्लोपियार, उज्लो-पेरु, सफ़ेद जमरूद - गु० सुडुपेर, सुदुर - गाडि सिं० ॥ मालका-फिऊ - बर० । पाएर को० । श्रामुक - नेपा० । पाण्डर पेरू-बम्ब० ।
जम्बू वर्ग
( NO. Myrtaceae. ) उत्पत्ति स्थान - - अमेरिका; यह लगभग सम्पूर्ण भारतवर्ष साधारणतः वंग प्रदेश में लगाया जाता है ।
वानस्पतिक वर्णन - एक पेड़ जिसका धड़ कमजोर, टहनियाँ पतली और पत्तियाँ पाँच या छः अंगुल लम्बी होती हैं। इसका फल कच्चे पर कषैला और पकने पर मीठा होता है और उसके भीतर छोटे छोटे बीज होते हैं ।
इसके ताजे घड़ की छाल का वाह्य पृष्ठ चिकना और भूरे रंगका होता है, और उसपर पर के समान सूखी हुई छाल के चिह्न होते हैं । कभी कभी वे कुछ कुछ लगे होते हैं। धूसर उपचर्म के नीचे ताजी छाल हरित वर्ण की होती है, इसके भी पृष्ठ पर लम्बाई की रुख उभरी हुई रेखाएँ
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अमरुत
पड़ी होती हैं तथा यह हलके धूसर वर्ण का होता है । स्वाद - कसैला और ग्राह्य अम्ल होता है । पत्र - सुगंधि युक्र अण्डाकार या श्रायताकार, लघु उंडलयुक्त नीचे की ओर कोमल रोमों से श्रावृत और मुख्य पत्र शिराएँ अत्यन्त स्पष्ट होती हैं ।
रासायनिक संगठन - छाल में कषायीन ( दैनीन ) २८४ प्रतिशत राल और कैल्सियम आरजेलेट के रवे होते हैं । अधिक परिमाण में कार्बोहाइड्रेट्स (काबोज ) और लवण होते हैं । पत्र में राल, वसा काष्टोज (cellulose) कपायीन (टेनीन ) उड़नशील तैल, हरिम्मूरि (Chlorophyll ) और खनिज लवण श्रादि होते हैं । वसा क्लोरोफार्म में पूर्णरूप और ईथर या ऐलकोहल में अंशतः विलेय होता है । किंचित् हरित उड़नशील तैल में युजिनोल ( Eugenol ) नामक पदार्थ होता है । यह तैल क्लोरोफार्म ईथर या ऐलकोहल में विलेय होता है। इस पेड़ में स्फुरिक (Phosphoric) चुक्र (Oxalic ) और सेव (Malic) अम्लों ( Acids ) के साथ मिले हुए कैल्सियम तथा मैंगनीज बर्तमान होते हैं। मूल, कांड त्वक् तथा पत्र में अधिक परिणाम में दैनिक एसिड ( कषायिनाम्ल होता है |
प्रयोगांश-वक् (मूल तथा कांड ) फल और पत्र व भस्म |
इतिहास - वि० डिमक महोदय के मतानुसार दोनों प्रकार के श्रमरूत अमेरिका से लाए गए । सम्भवतः पुर्तगाल निवासी इसको यहां लाए । पर भारतवर्ष में कई स्थानों पर यह जंगली होता है ।
प्रभाव - कांड, त्वचा और मूलत्वक् संकोचक हैं । श्रपक्क फल न पचने योग्य होते और वमन तथा ज्वरोत्पादक होते हैं
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गुणधर्म तथा उपयोग
गुण- कपैला, मधुर, खट्टा है और पका श्रमरूद स्वादिष्ट होता है | यह वीर्यदायक, बात, पितघ्न, शीतल कफ का स्थान है तथा भ्रम दाह,
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