________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
अनार
३०७
अनार
अनार के पत्तों को बारीक पीसकर थोड़ा सरसों का तेल मिलाकर उबटन के तौर पर दिन में एक बार प्रयोग करना खुजली को दर करता है।
उपयुक्त विधि के अनुसार सेवन करने अथवा पाव भर अनार के पत्तों को पाँच सेर पानी में
औटाकर ४ सेर शेष रहने पर इससे नहाने से गरनियों में . पित्ती निकलने को लाभ होता है।
अनार के दो तोले हरे पत्तों को श्राध पाव पानी में रगड़ और छान कर प्रातः सायं और रोग की अधिकता में दो पहर को भी सेवन करने से सिल ( उर:क्षत) को लाभ होता है।
गंड को दूर करता है। इसी भाँति सेवन करना भगन्दर में भी लाभप्रद है।
छाया में सुखाए हुए अनार के पत्ते ५ भाग और नवसादर १ भाग, दोनों को बारीक पीसकर कपड़छान करें, और ३-३ मा० प्रातः सायं ताजे पानी के साथ खिलाएँ। यह प्लीहा के लिए गुण दायक है।
अनारके पत्तोंको कुचल कर निकाला हुश्रा रस १ सेर और मिश्री ग्राधसेरका शर्बत तय्यार करें। २-२ तोला यह शर्बत दिन में दो तीन बार चटाना अावाज के भारीपन, खाँसी, नजला तथा जुकाम (प्रतिश्याय ) को दूर करता है।
अनार के पत्तों को छाए में सुखाकर बारीक पीसकर कपड़ छन करें और शहद के साथ जंगली बेर के समान गोलियाँ बना कर छाए में सुखाकर रक्खें। यदि शुद्ध शहद न उपलब्ध हो तो गुड़ के साथ गोलियाँ बनालें । इन गोलियों को मुंह में रख कर चूसनेसे भी यह आवाज के भारीपन, खाँसी और नजला व जुकामको दूर करता है।
अनार के हरे पत्तों को अाध पाव पानीमें पीस श्रीर छानकर प्रात: सायं पिलाने तथा अनार के हरे पत्तों को पत्थर पर बारीक पीसकर मस्तक पर लेप करने से नकसीर को लाभ होता है।
अनार के हरे पत्तों को कुचल कर निकाला हुधा रस १० ती०, गोमूत्र १० तो०, तिल तैल १० तो०, तीनों को नरम श्राग पर पकाएँ । जब तेल मात्र शेष रह जाए तब भाग पर से उतार कर और छानकर ठंडा होने पर शीशी में डाल रखें। इसको दो तीन बुद थोड़ा गरम करके प्रातः और सायं कान में डालने से बहरापन, कान का दर्द और कानों की खुश्की और साँ साँ शब्द होना बन्द होता है।
अनार के पत्तों को कुचल कर निकाला हुआ | रस १ सेर, बेल के पत्तों को कुचल कर निकाला | हुअा रस १ सेर, गाय का घी १ सेर, तीनों को नरम आँच पर पकाएँ। केवल घी मात्र शेष रहने पर छान कर रखें। दो दो तोला यह घी गौ के पाव भर गरम दूध में मिलाकर प्रातः सायं पिलाना बधिरता को दूर करता है । दूध में आवश्यकतानुसार मिश्री या खाँड मिला लें।
अनार के दो तोले ताजे पत्तों को प्राध सेर पानी में पकाकर प्राधपाव रहनेपर छानकर प्रातः सायं पिलाना और अनार के पत्तों को पानी में पीस टिकिया बनाकर बाँधना कंठमाला और गल
२तो. अनार के पत्तों को श्राध सेर पानी में प्रोटाएँ । जब प्राधपाव जल शेष रहे तब छान कर १ तो० खाँड़ मिलाकर प्रातः सायं सेवन करें। इससे आवाज का भारीपन खाँसी, नजला व जुकाम और दर्द सीना इत्यादि दूर होते हैं ।
अनार के पत्तों को छाया में सुखा बारीक पीस कर कपड़छान करें और ६-६ मा० सुबह गो की छाछ और शाम को ताजे पानी के साथ खिलाएँ । इससे पेटक कीड़े दूर होते हैं ।
अनार के ताजे पत्तोंको कुचल कर रस निकालें और इससे कुल्ले कराएँ । इससे मुख, हलक और जबान का पकना, मसूढोंसे खून और पीव का श्राना, जुबान और मुंह के छाले तथा ज़रूम दूर हो जाते हैं। रस निकालने के लिए यदि काफी पत्त न मिल सकें तो पत्तों को दगुने पानी में पीस और छान कर रस निकालें।
अनार के दो तोले पत्तों को १०तो. पानी में
For Private and Personal Use Only