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भंनङ्गम्, कम्
अनडुजिह्वा अनङ्गम, कम् anngam,-kam-संक्लो० मन। -सं०पू० (१) पारा २ पल,गंधक ३ पल, सुवर्ण ( Mind) श. र०।
भस्भ १ कर्ष, ताम्रभस्म १ पल, चाँदी भस्म ४ अनङ्गनिगडोरस: ananganigaro rasah निष्क । सबको एकदिन तक पंचामृत अर्थात् गिलोय
-सं० पु ताम्बा, हीरा, मोती, हरताल, वैकांत गोखरू, मूसली, मुण्डी और शतावरीके रसमें घोट (तुरमली), सूर्यकांत,माणिक्य इनकी भस्म.सोना. कर बेर प्रमाण गोलियाँ बनाएँ । गुण--यह चाँदी, सोनामाखी और अभ्रक सत्य प्रत्येक अत्यन्त पौष्टिक है । रस० मं०। समानभाग और सबके बराबर पारा और पारा (२) शुद्ध पारा, मुद्ध गंधक समान मिलाकर सबके बराबर गंधक मिश्रित कर कपास भाग लेकर तीन दिन तक कुमुदिनी के के फलों के रस से तीन भावना देकर सुखा ले। रस से भावना दें। पुनः सम्पुट के भीतर रखकर फिर पातशी शीशी में बन्द कर वालुका यंत्र में वालुका यंत्र में पकाएँ, फिर निकाल कर लाल क्रम से मन्द, मध्य और तीब्र अग्नि से तीन दिन
रंग के अगस्त और सफेद कमल के रस से पृथक पकाएँ। फिर शीतल होने पर निकाले और पृथक् भावना देकर रखें। सोलहवाँ भाग विष, काली मिर्च, कपूर, बंश
मात्रा-३ रत्ती । इसके सेवन से मनुष्य १०० लोचन, जावित्री, लवङ्ग और कस्तूरी की भावना
स्त्रियों से रमण करने की शक्ति प्राप्त कर सकता दें तो यह सिद्ध होता है । मात्रा-१ रत्ती । गुण
है । रस० यो० सा० । इस नाम का दूसरा दूध मिश्री के साथ खाने से नपुंसकता
योग र० मं०, रसायन सं० वाजीकरण प्रकरण दूर होती है। रस० यो० सा० ।
में लिखा है। अनङ्ग मेखला गुटिका ananga mekhalal
अनरananguan सं० पु. विना अंगुली gutika-सं० स्त्री० देखो-परिशिष्ट भाग। ।
वाला । अथर्व । सू० ६ । २२ । का० ८ । अनङ्गमेखलामोदकः anangamekhala
अनचण्डई ana-chandai-ता० मोलक काय __modakah-सं०० देखो-परिशिष्ट भाग।
-ते. (Solanum Ferox)-इं० मे०मे० । अनङ्ग व कोरसः nangavarddhako
अनचन्द्र ana-chanda. ते० अनसंड़ । rasah-सं० पु. पारा और धत्तूर बीजको सम
( Acacia Ferruginea, D. C.) भाग ले, धत्त रके बीजको तेल डाल कर खरल में
-ले०। स. फा० इ०। घोटें, पुनः गंधक द्विगुण भाग मिला बारीक घोट कर रख लें । इसमें पारे की भस्म (चन्द्रोदय)
अनज़aanaz-अ० बकरी, छागी। (A she- . मिलानी चाहिए। मात्रा-१-३ रत्ती। गुण
____goo.t). लु० क०। इसके सेवन से मनुष्य कामान्ध हो जाता है।
अनजल्ली ana-jalli-ता० रानफनस-मह० । रस० यो० सा।
बन्य पनस, जंगली कटहल । Artocarpus
Hirsuta, Lam. । फा० इं०३ भा० । अनङ्ग सुन्दर रसः ananga-sundara-1
अनजान anajāna-हिं० संज्ञा पु० (१) एक asah-सं० पु. वाजीकरणाधिकारोक रस
प्रकार की लम्बी घास जिसे प्रायः भैंसे ही खाती विशेष । यथा-एक पल पारा और एकपल गंधक
हैं और जिससे उनके दूध में कुछ नशा पा जाता को तीन दिन तक लाल कमल के रस की भावना
है। (२)अजान नाम का पेड़ । दें। तत्पश्चात् इसको प्रहर भर बालुकायंत्र में पकाएँ। पुनः उतार कर एक दिन रक्क अगस्त अनटोपण्डु anati-pandu-ते० केला, कदली । पुष्प रस तथा श्वेत कमल के रस में भावना (Musa paradisiaca, Linn.) फा० दे। र० सा० सं०।
इं०३ भा० । अगङ्गसुन्दरो रसः anangasundarorasah | अनडुजिह्वा anadu-jjihva-सं० स्त्री० गोजिह्ना,
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