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प्रतिनिद्रः
प्रतिपीड़का 'प्रतिदेश' कहलाता है । जैसे, अमुक कारण से दुग्ध अतिशृत घन दुग्ध । यह अत्यंत भारी होता इसका वायु ऊर्द्धगामी होता है इसलिए इसे है । “भवेगरीयोऽतिशृतम्" वा० टी० हेमाद्रौ उदावर्त होगा। यहाँ वायु का अर्द्धगमन प्रकृत
झारपाणिः। है इसका साधन अगाड़ी होने वाले उदावर्त अतिपज़म atipazam-ता. गूलर-हिं० । उदुम्बर से होता है । सु० उ० ६५ अ ... __ फलम्-सं०] Ficus Glomerata,Road.
(२) एक स्थान के धम्नं वा नियम का दूसरे | (Fruit of) स. फा० ई.। स्थान पर प्रारोपण । (३) वह नियम जो
अतिपश्चा atipancha-सं० स्त्री० (A girl अपने निर्दिष्ट विषय के अतिरिक और विषयों
___past five ) पांच वर्ष से ऊपर की कन्या | में भी काम पाए।
अतिपत्रः, कः atipatrah, kah-सं० पु० (१) अतिनिद्रः atinidrah सं०त्रि०(१) (Given
( The teak-tree ) सागवन to excessive sleep ) निद्रालु, वह -हिं० । शाकतरु-सं० । सेगुन गाछ जिसको अत्यन्त नोंद श्रारही हो।
-बं०। रा० नि० व०६, उन्माद-चि०, (२)( Without sleep, sleep- महापैशाच घृते । (२)हस्तिकन्द नामक महाकन्द । . less ) अनिद्रा।
रा०नि० व० ७। अतिनिद्रता atinidrata सं० स्त्री. ] अतिपत्रा atipatra-सं० स्रो० (Sida corअतिनिद्रा ati-nidra-हि० संज्ञा स्त्री०
difolia, Linn.) बलाभेद, खिरेटी, बरियारा, (Excessive sleeping ) निद्राधिक्य, |
बीजबन्द । वेडेला-बंग। देखो-बला | नींद की अधिकता । कफवृद्धि जन्य रोग विशेष । अतिपरिचम् atiparichcham-ता० ) सु० स १५ अ०।
अतिपर्या atiparya-सं० स्त्री० अतिनिद्राना(शि)नी गुटिका atinidrinash
मालकांगुनो-हिं० । कटुम्भी-सं०। ( Celainf gutikā-सं० स्त्रो० काली मिर्च को
strus paniculatus, Willd.)ito शहद में घोट कर गोलियाँ बनाएँ। इसे घोड़े के
मे० मे. | फा० इं० १ भा०।। लार से घिस कर नेत्रों में लगाने से घोर निद्रा भी दूर हो जाती है । यो चि०।
| श्रतिपातितम् atipatitam-सं० क्ली० (F1aअतिनिद्रा रोग atinidra aroga-हि. संज्ञा
cture ) अस्थिभंग, कांडभग्न, अस्थि का बीच
से टूट जाना, जिससे अस्थि पूर्णतः पृथक् हो जाती पु. वह रोग जिसमें बहुत नींद आती है।
है। सु० नि० १५ १० । (Sleeping sickness. ) अतिनेरश्चि atineranchi-सिं० अड़ा गोखरू अतिपिच्छ: atipichchhah-सं० पु. श्वेत
( Pedalium Murex, Linn. ) स० रकालु ( Diosco reau sativa, Linm.) - फा० इं०।
वै०नि० । अतिपकमांसम् atipakvamansam-सं० अतिपिच्छला atipichchhala-सं० स्त्री०
पु. खर पाक युक्त मांस, अधिक पकाया हुश्रा कुमारी, घृतकुमारी, घीकुवार-हिं०। ( Aloe सिद्ध मांस, पाकाधिक सिद्ध मर्मास । गुण- ___Bar badeusis.) वै० निघ०। . अधिक पकाया हुआ मांस विरस (स्वाद रहित), अतिपिजर: atipinjarah ) . .
वातकारक और भारी होता है । वै० निघः।। अतिपकक्षीरम् atipakva-hshiram-सं० पु.
अतिपीड़कः atipirakan-सं० पु०(Foul अग्नि पर पकाकर अत्यंत गाड़ा किया हुश्रा |
| ulcer ) दुष्ट व्रण, दृषित क्षत । च० ।
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