________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
जवार (य) न खुरासानी
१५१
में और अत्यन्त ख़फ़ीफ़ क्रोरोफॉर्म और ईथर में बुल जाता है।
प्रभाव - व्याप्तावसादक ( General sedative ) और निर्बल निद्राजनक ( Weak hypnotic ) | सामुद्र रोगों ( Sea sick ness) में लाभदायी है।
मात्रा
- प्रा० ) मुख से या स्वगस्थ अन्तःक्षेप द्वारा । नॉट ऑफिशल योग
१ से १ ग्रेन ( '३ से ६ मि०
२०० १००
( Not official preparations ). ( १ ) हायोसाय मोनो हाइड्रोब्रोमाइडम् (Hyoscyamine hydrobromidum) -इसके छोटे छोटे श्वेत दानेदार रवे होते हैं, जो ३ भाग १ भाग जल में लय होजाते हैं। मात्रा
१ से १ प्रेन |
२००
१००
( २ ) इओशिनो हायोसायमीनी हाइपोडर्मिका ( Injectio hyoscyamina hypodermica )- हायोसायमीन सल्फेट १ ग्रेन ( श्राधी रती ), परिस्रुत जल २ ड्राम | मात्रा-१ से २ बुद |
(३) हाइपोडर्मिक लेमेल्ज़ ( Hypodermic lamels ) - प्रत्येक लेमीली में १ प्रेन उक्त श्रौषध होती है ।.
१ से १०० ५००
( ४ ) श्रथैल्मिक डिस्कस ( Ophthalmic discs )-प्रत्येक डिस्क में ग्रेन दवा होती है।
५००
(५) हायोसायमीनी न्यूज़ ( Hyoseyamine granules ) - प्रत्येक में १ ग्रेन ।
१००
यह सी - सिक्स ( सामुद्र रोग ) में लाभदायक है
1
हायसायमीनो सल्फास के गुणधर्म व प्रयोग
प्रभाव — हायोसायमीन या हायोसाइनस का द्वितीय क्षारीय सत्य नेत्रकनीनिका प्रसारक है, और थोड़ी मात्रा में यह नाड़ी की गति को मंद
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
जवाई (य) न खुरासानी
करता है तथा धामनिक तनाव की वृद्धि करता एवं शारीमा की कमी को रोकता है और भूल चूक ( Hallucination ) व विभ्रम पैदा करता है। अधिक मात्रा में यह तत्क्षण नाड़ी स्पन्दन को कम कर देता है तथा प्राकट्य वातप्रस्तता या चालन की अशकता तथा निद्रा उत्पन्न करता है ।
उपयोग-हायोसीन की अपेक्षा हायोसायमीन प्रभाव में धत्तूरीन ( Atropine ) से अधिक समानता रखता है। अधिकांश रोगियों में यह बिना पूर्व विभ्रम के निद्रा उत्पन्न करता है । हायोसायमीन ( Hyoscyamine ) ऐट्रोपीन के समान ही, किन्तु उससे अधिक नेत्रकनीनिका प्रसारक है । इसमें एट्रोपीन से विभ्रमकारी प्रभाव कम तथा निद्राजनक प्रभाव अधिक है । इसमें अधिक विश्वसनीय तथा शीघ्र मदकारी ( नारकोटिक ) गुण है । और यह सब अफीम (मॉफिया) तथा क्रोरल हाइड्रेट से पूर्ण तथा कम वर्जनीय है । यह वातमंडलावसादक है ।
डॉक्टर रिङ्गर ( Ringer ) के कथनानुसार जिन्होंने सम्भवतः श्रशुद्ध लवण का नवीनोन्माद में उपयोग किया इसके प्रभाव का एट्रोपीनसे तुलना करनेपर कोई भेद नहीं ज्ञात हुआ । यह बलवान नेत्रकनीनिकाप्रसारक है तथा नेत्र रोग में इसका उपयोग होता है । परंतु ऐट्रोपीन की अपेक्षा यह विशेष लाभदायी नहीं है ।
डॉक्टर ए० आर० कुश्नो ( Cushny ) के वर्णनानुसार विशुद्ध हायोसायमीन शुद्ध ऐटोपीन की अपेक्षा नेत्रकनीनिका प्रसारण तथा लालास्राव प्रतिबंधन में द्विगुण शक्तिशाली है । किश्ती पर सवार होने से प्रथम यदि इसे कुछ १ प्रेन की मात्रा में प्रयोग करें तथा
दिवस तक
१००
इसे कुछ समय तक प्रति घंटा २-२ घंटा पर दोहराते रहें तो यह सामुद्र रोग ( Sea sick - ness ) को रोकने के लिए सर्वोत्कृष्ट श्रौषध है । यह कनीनिकाप्रसारक रूप से भी व्यवहार में आता है। फ़ालिज ( श्रद्धांगवात या पक्षाघात)
For Private and Personal Use Only