SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 189
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अजवाह (य) न खुगसानो १४७ अजवाइ (य) न खुरासानी मात्रा-२ से = ग्रेन अर्थात् १ से ४ रत्ती . मात्रा-आधा से १ फ्लुइड ड्राम (२ से ४ (१२ से १० से० प्रा०). मिलिग्राम) (२) पिल्युला कालोसिन्थिडिस एट- । .. नाट आफिशल योग हायोसाइमाई (Pilula colocynthidis (Not official preparations.) et Hyoseyami. )-ले० । पिल श्राफ़ | (१) क्लोरोफार्मम् हायोसाइमाइ (Chloकालोसिन्थ एण्ड हायोसाईमस (Pill of roformum Hyoscyami ) arata colocynth and Hyoscyamus ) :: यवानी मूल ( Hyoseyamus root) चूर्ण -ई०। इन्द्रायन व पारसीक यमानी वटिका किया हुश्रा ३० भाग, क्रोरोफॉर्म २० भाग । -हिं० । ह.ब्ब हन्ज़ल व बञ्ज (बङ्क )-अ०, यह क्रोरोफार्म एकोनाइटीनी के समान प्रस्तुत फा० किया जाता है। निर्माण-विधि-कम्हाउण्ड पिल ऑफ़ (२) टिंकचूरा हायोसाइमाइ रेडिसिस कालोसिन्थ २ अाउंस (१ छ०), एक्सट्रैक्ट ( Tinctura Hyoscyami Raआन हायोसाइमस । आउंस दोनों को मिलालें । dicis )-चूर्णित पारसीक यमानी मूल पाँच मात्रा-४ से ८ ग्रेन अर्थात् २ से ४ रत्ती भाग, हली ( ६० प्रतिशत ) ४० भाग में (२६ से १२ ग्राम). एक सप्ताह तक भिगोकर पॉलेट कर लें। . (३) सकस हायोसाइमाई ( Succus मात्रा-२० से ६० मिनिम (बुद)। Hyoscyami)-ले० । जूस ऑन हायो- हायोसाइमस के गुणधर्म व प्रयोग ATERA ( Juice of Hyoscyamus ) पारसीकयमानीपत्र अर्थात् हायोसाइमाइ -इं० । पारसीक यमानी स्वरस-हिं० । असार- फोलिया ( Hyoscyami Folia). बञ्ज, अफ़्रशुहे बङ्क-अ०, फ़ा। प्रभाव-हायोसाइमीन ( पारसीक यमानी निर्माण-विधि-नवीन पत्रों, पुष्पों तथा शा- का स्फटिकाकार सत्व)जो हायोसाइमस अर्थात् खात्रों को कुचलने से जो रस प्राप्त हो उसके खुरासानी अजवायन का प्रभावात्मक सत्व है. प्रति तीन भाग (प्रायतन के विचार से ) में , अपनी रचना में धतूरीन ( एट्रोपीन) के समान भाग हली ( १० प्रतिशत ) सम्मिलित करें होता है। प्रस्तु,स्थायी क्षार (फिक्स्ड अल केलीज़) और एक सप्ताह तक पड़ा रहने दें, पुनः फिल्टर की उपस्थिति में सामान्य उत्ताप पर वह धतीन कर लें। (एटोपीन ) में परिणत हो जाता है। इसलिए मात्रा-प्राधा से १ फ्लु० डा०-(१ से यद्यपि पारसीक यमानी के बहुशः गुणधर्म स्व३.६ क्यु० सें.)।. भावतः विलाडोना और स्ट्रेमोनियम् (धुस्तुर, (५) टिंकचूरा हायोसाइमाई (Tinct- धत्तूर ) के गुणधर्म के समान होने चाहिए ura Hyoscyami)-ले. । टिचर ऑफ (देखो-बिलाडोना), तथापि उनके प्रभाव में ERTATEAA ( Tincture of Hyoscy निम्नोल्लिखित पारस्परिक भेद प्रभेद पोए जाते हैं:amus)-इं० । पारसीक यमान्यासव-हिं० । (१)विलाडोना की अपेक्षा हायोसाइमस से सबग़ह, बञ्ज, तफ्रीन बङ्क-फा०, अ०। उन्मत्तता तो कम उत्पन्न होती है। किन्तु मस्तिष्क निर्माण-विधि-हायोसाइमस के पत्तों और पर इसका अवसादक (Sedative ) तथा पुष्प युक्त शास्वानों का २० नं. का चूर्ण२ श्रा. निद्राजनक (Soporific) प्रभाव शीघ्रतर उस, हली (Alcohol ) ४५ % यथो. एवं बलवानतर होता है । (२) सुषुम्ना कांड - चित । चूर्ण को २ फ्लुइड पाउंस हलाहल से तर पर भी इसका अवसादक प्रभाव अधिक स्पष्ट करके पकॉलेशन (टपकाना ) द्वारा , पाइण्ट होता है। (३) यह प्रांत्र के कृमिवत् श्राकुञ्चन टिकवर तयार कर लें। को तीन करता तथा प्रवाहिका या मरोड़ा को For Private and Personal Use Only
SR No.020089
Book TitleAyurvediya Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
PublisherVishveshvar Dayaluji Vaidyaraj
Publication Year1934
Total Pages895
LanguageSanskrit
ClassificationDictionary
File Size29 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy