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अजवाह (य) न खुगसानो
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अजवाइ (य) न खुरासानी मात्रा-२ से = ग्रेन अर्थात् १ से ४ रत्ती . मात्रा-आधा से १ फ्लुइड ड्राम (२ से ४ (१२ से १० से० प्रा०).
मिलिग्राम) (२) पिल्युला कालोसिन्थिडिस एट- । .. नाट आफिशल योग हायोसाइमाई (Pilula colocynthidis (Not official preparations.) et Hyoseyami. )-ले० । पिल श्राफ़ | (१) क्लोरोफार्मम् हायोसाइमाइ (Chloकालोसिन्थ एण्ड हायोसाईमस (Pill of roformum Hyoscyami ) arata colocynth and Hyoscyamus ) :: यवानी मूल ( Hyoseyamus root) चूर्ण -ई०। इन्द्रायन व पारसीक यमानी वटिका किया हुश्रा ३० भाग, क्रोरोफॉर्म २० भाग । -हिं० । ह.ब्ब हन्ज़ल व बञ्ज (बङ्क )-अ०, यह क्रोरोफार्म एकोनाइटीनी के समान प्रस्तुत फा०
किया जाता है। निर्माण-विधि-कम्हाउण्ड पिल ऑफ़ (२) टिंकचूरा हायोसाइमाइ रेडिसिस कालोसिन्थ २ अाउंस (१ छ०), एक्सट्रैक्ट ( Tinctura Hyoscyami Raआन हायोसाइमस । आउंस दोनों को मिलालें । dicis )-चूर्णित पारसीक यमानी मूल पाँच
मात्रा-४ से ८ ग्रेन अर्थात् २ से ४ रत्ती भाग, हली ( ६० प्रतिशत ) ४० भाग में (२६ से १२ ग्राम).
एक सप्ताह तक भिगोकर पॉलेट कर लें। . (३) सकस हायोसाइमाई ( Succus मात्रा-२० से ६० मिनिम (बुद)। Hyoscyami)-ले० । जूस ऑन हायो- हायोसाइमस के गुणधर्म व प्रयोग ATERA ( Juice of Hyoscyamus ) पारसीकयमानीपत्र अर्थात् हायोसाइमाइ -इं० । पारसीक यमानी स्वरस-हिं० । असार- फोलिया ( Hyoscyami Folia). बञ्ज, अफ़्रशुहे बङ्क-अ०, फ़ा।
प्रभाव-हायोसाइमीन ( पारसीक यमानी निर्माण-विधि-नवीन पत्रों, पुष्पों तथा शा- का स्फटिकाकार सत्व)जो हायोसाइमस अर्थात् खात्रों को कुचलने से जो रस प्राप्त हो उसके खुरासानी अजवायन का प्रभावात्मक सत्व है. प्रति तीन भाग (प्रायतन के विचार से ) में , अपनी रचना में धतूरीन ( एट्रोपीन) के समान भाग हली ( १० प्रतिशत ) सम्मिलित करें होता है। प्रस्तु,स्थायी क्षार (फिक्स्ड अल केलीज़) और एक सप्ताह तक पड़ा रहने दें, पुनः फिल्टर
की उपस्थिति में सामान्य उत्ताप पर वह धतीन कर लें।
(एटोपीन ) में परिणत हो जाता है। इसलिए मात्रा-प्राधा से १ फ्लु० डा०-(१ से यद्यपि पारसीक यमानी के बहुशः गुणधर्म स्व३.६ क्यु० सें.)।.
भावतः विलाडोना और स्ट्रेमोनियम् (धुस्तुर, (५) टिंकचूरा हायोसाइमाई (Tinct- धत्तूर ) के गुणधर्म के समान होने चाहिए ura Hyoscyami)-ले. । टिचर ऑफ (देखो-बिलाडोना), तथापि उनके प्रभाव में ERTATEAA ( Tincture of Hyoscy
निम्नोल्लिखित पारस्परिक भेद प्रभेद पोए जाते हैं:amus)-इं० । पारसीक यमान्यासव-हिं० ।
(१)विलाडोना की अपेक्षा हायोसाइमस से सबग़ह, बञ्ज, तफ्रीन बङ्क-फा०, अ०।
उन्मत्तता तो कम उत्पन्न होती है। किन्तु मस्तिष्क निर्माण-विधि-हायोसाइमस के पत्तों और पर इसका अवसादक (Sedative ) तथा पुष्प युक्त शास्वानों का २० नं. का चूर्ण२ श्रा. निद्राजनक (Soporific) प्रभाव शीघ्रतर उस, हली (Alcohol ) ४५ % यथो. एवं बलवानतर होता है । (२) सुषुम्ना कांड - चित । चूर्ण को २ फ्लुइड पाउंस हलाहल से तर
पर भी इसका अवसादक प्रभाव अधिक स्पष्ट करके पकॉलेशन (टपकाना ) द्वारा , पाइण्ट होता है। (३) यह प्रांत्र के कृमिवत् श्राकुञ्चन टिकवर तयार कर लें।
को तीन करता तथा प्रवाहिका या मरोड़ा को
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