________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
मष्टांगहृदय ।
प. २१
ताः पुनः पंच विज्ञेया लक्षणैः स्वैर्यथोदितैः।। अधिजिह्वा के लक्षण । ___ अर्थ-दांतों के मांसमें होनेवाले संपूर्ण प्रबंधनेऽधो जिवायाः शोफो जिवासाध्यरोगों की भी उपेक्षा करने से वातादि
प्रसन्निभः। दोष भीतर ही भीतर पतली पतली नाली सांकुरः कफपित्तास्नालोषास्तंभवान् स्वरः पैदा करलेते हैं इन नालियों में होकर वार
अधिजिहवः सरकंडूक्याहारविघातकृत। बार राध निकला करती है तथा त्वचा,
अर्थ-जिहवाकी जडके नीचे के भागमें मांस और आस्थि अलग अलग होजाते हैं।
कफपित्त और रक्तके प्रकोप में जिह्वा के वातादि दोष से ये नाली पांच प्रकार की | अग्रभाग की तरह आकृति से युक्त मांसके होती हैं, यथा-वातज, पित्तज, कफज,
अंकुरों से व्याप्त, लालास्रावी, संतप्त, स्तरक्तज और अभिधातज | इन सब का ब्ध, खरस्पर्श, वेदना और खुजली से युक्त दोषानुसार वर्णन किया जायगा । दांत की तथा बाणी और आहार को रोकनेवाली जड में तरह प्रकार के रोग हुआ करते हैं । सृजन पैदा हो जाती है । इसरोग को अधि
वातादि दूषित जिह्वा के लक्षण । जिह्वा कहते हैं । शाकपत्रखरा सुप्ता स्फुटिता वातक्षिता ॥ उपजिह्वा के लक्षण । जिहापित्तात् सदाहोषा रक्तासांकुरैश्चिता तागेवोपजिहवस्तु जिह्वाया उपरि स्थितः शाल्मलीकंटकाभैस्तु कफेन वहुला गुरुः ॥ | __ अर्थ-शाकपत्र के समान खरदरी, सुप्त
____ अर्थ-जिह्वा की जडके ऊपरवाले भाग और फटी हुई जीभ वात दूषित होती है ।
में जब ऐसी सुजन पैदा हो जाती है, तब पित्त दुषित जिह्वा दाह और तापसे युक्त
| उसको उपजिहवा कहते हैं। तथाः लाल रंगके मांसांकुरों से उपचित
तालुपिटका के लक्षण । होती है। कफ दषित जिहवा भारी तथा तालुमांसेनिलाद्दष्टे पिटिकाः सरुजः खराः। सेमर के कांटों के सदृश मांस के अंकुरों से |
| वढयो घनाः नावयुक्तास्तास्तालुपिटिकाः व्याप्त होती है।
स्मृताः ॥ अलसके लक्षण।
___ अर्थ-वायुके प्रकोप के कारण तालु के कफपित्तादधः शोफो जिहास्तंभकृदुम्नतः।।
मांसमें ऐसी बहुत सी पुंसियां हो जाती है मत्स्यगंधिर्भवेत्पक्वः सोऽलसो मांसशातनः | जिनमें दर्द, खरदरापन और गाढात्राव
अर्थ-कफपित्त के प्रकोप में जिह्वाके होता है । इसको तालुपिटका रोग कहते हैं । नीचे के भागमें जिह्वा को स्तंभन करने- | गलथुडिका के लक्षण ॥ वाली ऊंची सूजन पैदा होजाती है । इसके | तालुमूले कफात्सास्रात मत्स्यवस्तिनिभो पकने पर मछली के समान आमगंध आती |
प्रलंया पिच्छिलः शोफो नासयाऽऽहारमी. है, ऐसे रोगको अलस रोग कहते हैं, अलस
रयन् ॥ रोगमें मांस झड पडता है। | कंठोपरोधस्तृटूकासवामिकहूगलशुडिका ।
For Private And Personal Use Only