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उत्तरस्थान भाषाका समेत ।
अ० २१
है | रुधिरका निकलना बन्द होने पर फूल जाता है । इस रोग में दांत चल और मंवेदना से युक्त तथा मुखदुर्गंधित हो
जाता है ।
( ८३३ )
महा सुषिररोग | स सन्निपातज्वरबान् सपूयरुधिरस्रुतिः । महासुरिर इत्युक्तो विशीर्णद्विजबंधनः ।
दंतपुपुट के लक्षण । दंतयोस्त्रिषु वा शोफो बारास्थिनिभो घनः ॥ कफास्नात्तीव्ररुक् शीघ्र पच्यते दंतपुष्पुटः ।
अर्थ- दांतों की जड में एक सूजन होती है जिसमें सन्निपातज ज्वर होता है। और इस सूजन में से राध और लोहू निकलता रहता है इससे दांतों के बंधन ढीले पडजाते हैं, इसे महासुषिररोग कहते हैं । अधिमसिक रोग |
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अर्थ -दो अथवा तीन दोषों में बेरकी गुठली के समान गाढा शोफ होजाता है । तथा कफ और रक्त के कारण इनमें तीव्र बेदना होने लगती है, इसमें पकाव बहुत शीघ्र होजाता है । इसरोग का नाम दंतपुपुट है ।
दंतांते कीलवच्छोको हनुकर्ण रुजाकरः ॥ प्रतिहत्यभ्यवहृर्ति श्लेष्मणा सोऽधिमांसकः
विद्रधि के लक्षण ।
दतमांसे मलैः सातिः श्वयथुर्गुरुः ॥ सदाहः स्त्रवेद्भिन्नः पूयासं दंतविद्रधिः ।
अर्थ- दांतों के मांसमें भीतर और बाहिर की ओर वातादि तीनों दोष और रक्तके कुपित होने से दाह और बेदना से युक्त भारी सूजन पैदा होजाती है और इस सूनन के फटने पर राव और लोहू निकछने लगता है । इसरोग को दंतविद्रधि कहते हैं ।
'सुषिर के लक्षण | श्वयथुर्दतमूलेषु रुजावान् पित्तरक्तजः । कालास्रावी स सुषिरो दंतमांसप्रशातनः । अर्थ - पित्तरक्त के प्रकोप के कारण दांतों की जड़ में वेदना से युक्त और लार टपकाने वाली सूजन पैदा होजाती है । इस रोग में दांतों का मांस झड पडता है । इसको सुषिर रोग कहते है ।
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अर्थ - जिस रोग में दांतों के अंत में कील के समान सूजन पैदा होजाती है। और जिसके कारण ठोंडी और काम में दर्द होने लगता है । इसमें भोजन करना भी कठिन होजाता है । यह रोग कफ से उत्पन्न होता है और अधिमासज कहलाता है । विदर्भ के लक्षण |
घृष्टेषु दंतमांसेषु सरंभो जायते महान् ॥ यस्मिंश्चलति दंताश्च स विदर्भोऽभि
घातजः ।
अर्थ- दंतकाष्टादि द्वारा दांतों के मांस के रिगड खाजाने पर दांतों की जड में दारुण सूजन पैदा होजाती है । इसके कारण सब दांत हिलने लगजाते हैं । यह व्याधि चोट के कारण से होती है, इसे विदर्भरोग कहते हैं ।
पांच प्रकार की गति । दंतमांसाश्रितान् रोगान् यः साध्यान
प्युपेक्षते ॥ अंतस्तस्यस्त्रवन् दोषः सूक्ष्मां संजनयेद्गतिम् पूयं मुहुः सा स्रवतित्वमांसास्थिमभेदिनी
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