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अष्टांगहदय ।
भ• ६
..... फांट का प्रमाण । साथ पाक करने में कल्क का स्नेह से
चतुर्भिश्च ततोऽपरम् ॥ १४॥ | आठवां भाग डालनाचाहिये। यदि स्नेहपाक . अर्थ-एक पल द्रव्य, चार पल द्रवमें में पांच वा पांच से अधिक द्रय पदार्थ हो डालकर जो बनाया जाता है उसे पांट तो प्रत्येक द्रव पदार्थ स्नेह के समान लेना कहते हैं।
चाहिये । ___ यह सव मध्यम मात्रा का मान है,परन्तु
पाक के लक्षण । वैद्य अपनी बुद्धि से देश कालादि को देख- नांगुलिग्राहिता कल्के न मेहेऽनौसशब्दता कर न्यूनाधिक कर सकता है। पर्णादिसंपञ्च यदा तदैनं शीघ्रमाहरेत् । । ... स्नेहपाक का प्रमाण ।
___ अर्थ-कल्क जब उँगली से न लगे, नेहपाके त्वमानोक्तौ चतुर्गुणविवर्धितम | और अग्नि में डालने पर चट चट शब्द न कल्कनेहद्रवं योज्यम्
हो और तेल का जब उपयुक्त वर्ण, रस अर्थ-तैलादि स्नेहके पाकमें जो कल्क और स्पर्श हो तव जान लेना चाहिये कि स्नेह और द्रव पदार्थ का परिमाण न दिया | पाक होगया है, उस समय अग्नि से शीघ्र गयाहो तो उत्तरोत्तर चौगुना लेवे अर्थात उतार लेना चाहिये। कल्कसे चौगुना स्नेह और स्नेह से चौगुना स्नेहपाक का अन्य लक्षण । द्रव पदार्थ लेना चाहिये ।
घतस्य फेनोपशमस्तैलस्य तु तदुद्भवः । ... शौनक का मत । लेहस्य तंतुमत्ताप्सु मजनं शरणं नच ।
___ अधीते शौनकः पुनः॥१५॥ अर्थ- पकात २ घी में जब झाग उठना नेहे सिध्यति शुद्धांबुनिष्काथस्वरसैः बन्द होजाय और तेल में झागों की उत्पत्ति
क्रमात् । हो तव जान लेना चाहिये कि घी वा कल्कस्य योजयेशं चतुर्थ षष्ठमष्टमम्
तेल का सम्यक् पाक होगया है । लेह जय पृथक् स्नेहसमं दद्यात्पंचप्रभृति तु द्रवम् । __ अर्थ-इस विषय में शौनक का यह मत
अच्छी तरह पक जाता है तव उस में तार है कि स्नेह कभी शुद्ध जल के साथ कभी निकलते हैं, और पानी में डालने से नीचे क्वाथ के साथ और कभी स्वरस के साथ
बैठ जाता है ये लेह के पाक के लक्षण हैं। पकाया जाता है, ऐसी दशा में कल्क का यह जल में डालने से घुलता नहीं है । परिमाण स्नेह से चौथा, छटा वा आठवां पाक के तीनभेद । भाग होता है, अर्थात् केवल जल के साथ | पाकस्तु त्रिविधो मंदश्चिक्षणःस्वरचिक्कणः॥ स्नेहपाक करने में स्नेह से कल्क चौथाई | मंद करकसमे किचिचिक्कणो मदनोपमे।
किंचित्सीदति कृष्णेचवर्तमाने च पश्चिमः। डालना चाहिये । काथ के साथ पाक करने
दग्धोतऊवैनिकार्यस्यादामस्त्वग्निसादकत् में कल्क का स्नेह से छटा भाग स्वरस के मृदुर्नस्ये नरोऽभ्यगे पाने वस्तौ चचिक्कणः ।
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