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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra अ० १५ www. kobatirth.org सूत्रस्थान भावाटीकासमंत | की छाल तथा शेत्र औषधियों के फलपत्र पुष्प वमन कराने में उपयोगी होते हैं । वैरेचनिक द्रव्य । Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir वातनाशक द्रव्य । 1 भद्रा नतं कुठं दशमूलं बलाद्वयम् वायुं वीरतरादिश्व विदार्यादिश्च नाशयेत् ॥ अर्थ- देवदारु, तगर, कूठ, दसमूल, 1 दोनों खरैटी तथा आगे आनेवाले वीरतरादि और विदारीगण ये सब वातनाशक हैं । पित्तनाशक द्रव्य । सारो माधूकः शिरोविरेचन द्रव्य | वेल्लाssपामार्गग्यपदासुराला बीज शैरी वाहत शैवं च । सैंधवं तार्क्ष्यशैलंपृथ्वीका शोधयत्युत्तमांगम् ॥ ४ ॥ अर्थ- बायविडंग, औंगा, त्रिकुडा, दारुहळदी, सातला, सिरस के बीज, कटे रीके बीज, सहजने के बीज, मधुपुष्पसार, सेंधानमक, सूचीरसौत, छोटी इलायची बढी इलायची, पृथ्वीका (हिंगुत्री वा कालाजीरा) ये सब सिरको शोधन करनेवाली हैं । १८ ( १३७ ) निकुंमकुंमात्र लागवाक्षीस्नुखिनो नीलिनितिकाने शम्याककंपिल्ल कहे मा 'दुग्धं च मूत्रं च विरेचनानि ॥ २ ॥ अर्थ- दंती, निसाथ, त्रिफला, इन्द्रायण स्नुक ( थूहर का दूध ) शंखिनी नीलपुष्पा लोध, शम्याक ( अमलतास ) [ कपिला ] स्वर्णक्षीरी, दूध और मूत्र । सब औषध दस्त लानेवाली है । कंपिल्ल निरूहण द्रव्य । मदनकुजकुष्ठदेवदालीमधुकवचादशमूलदारुराक्षाः । यवमसिकृतवेधन कुलत्थो मधुलवणं त्रिवृता निरूहणानि ॥६॥ अर्थ- मैफल, कुडा, फूल, देवदाली मुलहटी, वच, दसमूल, देवदार, रास्ना, इन्द्रजौ, सौंफ, कडवी तोरई, कुथी, मधु | आरग्वधादिरकों मुष्ककाद्योसनादिकः । सेंधानमक, और निसौथ ! ये सब सुरसादिः समुस्तादिर्वत्सकादिर्बलास जित् वस्ति उपयोगी हैं | अर्थ - आरग्वधादि गण, अर्कादिगण, मुष्ककादिगण, असनादिगण, सुरसादिगण, मुस्तादिगण और वत्सकादिगण, ये सब कफनाशक हैं ॥ दुर्बाऽनंता निवासाऽऽत्मगुप्तामुद्राऽभीरुः शीतपाकी प्रियंगुः । न्यग्रोधादिः पद्मकादिः स्थिरे द्वेपद्म वन्यं सारिवादिश्च पित्तम् ॥ ६ ॥ अर्थ- दूर्वा, जवासा, नीम, अडूंसा, कमात्र, भद्रमुस्तक, सितावर, शीतपाकी, और प्रियंगु, ये सब तथा वक्ष्यमाण न्योधादिगण, तथा पद्मकादिगण तथा शालिपर्णी और पृष्ठिपर्णी, तथा कमल, कुटंनट और सावादिगण ये सब पित्तनाशक हैं । कफनाशक द्रव्य । For Private And Personal Use Only जीवनीय गण | जीवंती कोशल्यौ मेरे द्वे मुद्रमाषपण्य च । ऋषभकजीवकमधुकं चेतिगणोजीवनीयाख्यः अर्थ- जीवंती, काकोली, क्षीर काकोली मेश, महामेदा, मुद्रपर्णी, मापपर्णी, ऋष भक, जीवक और मुलहटी, ये दस औषध जीवनीय गण कहलाते हैं ।
SR No.020075
Book TitleAshtangat Rudaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVagbhatta
PublisherKishanlal Dwarkaprasad
Publication Year1867
Total Pages1091
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size26 MB
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