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(७६)
अष्टांगहृदये।
अ०७
शहत पानी । घी चर्वी । घो तेल | घी तीतरादिमांस और अरंड । पानी । आदि समान भागमें विरुद्ध हैं। तद्वत्तित्तिरिपत्राढयगोधालावकपिंजलाः ॥ तीन तीन जैसे शहत घी चर्वी । शहत धी
| ऐरंडेनाग्निना सिद्धास्तत्तैलेन विमूर्च्छिताः ।
अर्थ-इसी तरह तीतर, मोर, गोधा, तेल । शहत घी पानी । घी चर्वी तेल ।
लवा, कपिंजल पक्षियों का मांस अरंडकी घी चर्वी पानी आदि समान भागमें मिलाकर
| लकडी में पकाये हुए अरंडी के तेलके साथ सेवन करनेसे विरुद्ध होतेहैं।
सिद्ध करके खाना विरुद्ध है । असमान शहत घी।
हारित और हारिद्र । भिन्नांशेऽपि मध्याज्ये दिव्यवार्यनुपानतः ॥
हारीतमांसं हारिद्रशूलकप्रोतपाचितम्।४३। मधुपुष्करबजिं च मधुमेरेयशार्करम्।
हारिद्रवन्हिना सद्योब्यापादयति जीवितम्। मंथानुपानः क्षैरेयो हारिद्रः कटुतैलबान् ४०
भस्मपांशुपारध्वस्तं तदेव च समाक्षिकम्४४ ___ अर्थ-असमान भाग घी और शहत
अर्थःहरीपल पक्षीका मांस हारिद्रवृक्ष मिलाकर पीनेके पीछे आन्तरीक्ष जल का
| की लकडी सलाई में लगाकर हारिद्र की अनुपान विरद्ध है । शहत और पुष्कर बीज
लकडी की आगपर भून तो तत्काल प्राणनामिले हुए विरुद्ध हैं । द्राक्षामद, खजूर का
शक होता है । अथवा हरियल का मांस आसव और चीनी से बनाया हुआ शहत राख वा धूल ते मलीन होगया है और उस ये तीनों मिले हुए विरुद्ध हैं । द्धपाक खा- में शहत मिलाकर सेवन करै तो वह भी कर मठा पीलेना विरुद्ध है।
विरुद्ध है। सरसों के तेल के साथ हारिद्रशाक विरुद्ध विरुद्धका शमन । होता है।
" यत्किंचिद्दोषमुत्क्लेश्य न हरेत्तत्समासतः। तिलकल्क और पाई। | विरुद्धं शुद्धिरत्रेष्टा शमोवा तद्विरोधिभिः।४। उपोदकातिसाराय तिलकल्केन साधता ।
अर्थ-जो अन्न पान वा औषध वातादि___ अर्थ--तिलके कल्कके साथ रांधा हुआ
के दोषों को अपने स्थान से चलायमान पोई का शाक अतिसार करता है ।
करके बाहर की ओर निकालने के लिये वगुला के विरुद्ध पदार्थ ।
प्रस्तुत करै परन्तु निकाल न सकै, संक्षेपसे वलाका वारुणीयुक्ता कुल्मायुश्च विरुध्यते॥
उन्हीं को विरुद्ध कहते हैं । इन विरुद्ध भृष्टा वाराहावसया सैव सद्यो निहत्यसून् । वस्तुओं के सेवन से हुए रोगोंको बमन वि___ अर्थ-बगुला का मांस वारुणी नामक रेचनादिद्वारा शुद्ध करै । अथवा केवल वमन मद्यके साथ विरुद्ध है । वही मूंग आदि के विरेचनादिद्वारा आरोग्यता प्राप्त नहो सकै साथ पकायाहुआ भी विरुद्ध है । शकर की तो उसके विपरीत गुणवाले द्रव्योंका प्रयोग चर्वी के साथ पका या हुआ बगले का मांस करके उक्लिष्ट वातादिक दोप वा उनसे तत्काल प्राणनाशक है ।
उत्पन्न हुए विकारों का शमन करै ।
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