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अ०६
सूत्रस्थान भाषाटीकासमेत ।
(६९)
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चातुर्जात और त्रिजात । रुच्यलघुस्वादुपाकंस्निग्धोष्णं कफवातजित् सकेसरं चतुर्जातं त्वक्षत्रैलं भिजातकम् ५ अर्थ-सोंठ अग्निसंदीपन, वृष्य, ग्राही, दीपनं पाचनं रुच्य वातपित्तककापहम् । हृदयको हितकारी और विबंधको दूर करती
अर्थ- दालचीनी, तेजपात, और इला- ! है । रुचिकर्ता, हलकी, मधुरपाकी, स्निग्ध, वीडन तीनोंको त्रिजातक कहते हैं । इन उष्ण और फकवात को दूर करनवाली है। तीनों में केसर मिलादी जाय तो चातुजोत
अदरख के गुण । होजाताहै, ये दोनों अग्निसंदीपन, पाचन
तद्वदाईकमेतञ्च अयं त्रिकटुकंजयेत् ॥१६२॥ रुचिकर्ता और वात, पित्त, कफ इन तीनों स्थौल्याग्निसदन श्वासकासश्लीपदपीनसान् । को नाश करनवाली है।
__ अर्थ-अदरख के गुण सोंठ के समान मिरचके गुण ।
ही होते हैं । सोंठ, मिरच और पीपल इन पित्तप्रकोपि तीक्ष्णोष्णं रूक्षं दीपनरोचनम् । तीनोंका नाम त्रिकुटाहै यह मोटापन, अग्निरसे पाके च कटुकं कफघ्नं मरिचं लघु ॥ मांद्य, श्वास, खांसी, श्लीपद और पीनसको
अर्थ- मिरच पित्तको प्रकुपित करतीहै। दर करती है । तीक्ष्ण, उष्ण, रूक्ष, दीपन और रोचकहै,
चव्य. पीपलामूल | रस और पाकमें कटुहै, कफनाशक और
चविका पिप्पलीमूलं मरिचाल्पान्तरं गुणैः । हलकी होतीहै ।
__ अर्थ-चव्य और पीपलामूल इन दोनों पीपलके गुण ।
के गुणोंमें मिरचके गुणों से थोडा ही अंश्लेष्मलास्वादुशीता गु/स्निग्धाचपिप्पली साशुष्का विपरतिातः स्निग्धावृप्यारसेकटा तर है, अर्थत् यह भी कटुरस,, कटुपास्वादुपाकाऽनिलश्लेष्मश्वासकासापहासरा की कफन्न, लघु और उष्णवीर्य है। म तामत्युपयुजीत रसायनविधि विना।
चीते के गण । ___अर्थ- हरी पीपल कफकारी, मधुररस- चित्रकोऽग्निसमः पाके शोफार्शः कृमिकुष्ठहा युक्त, शीतवीर्य, भारी और स्निग्ध होतीहै, अर्थ-चीता पाकावस्था में अग्नि के सूखी पीपल ऊपर कहे हुए गुणोंसे विपरीत समान गरम है वह सूजन, अर्श, क्रमिरोग होतीहै, यह स्निग्ध, वृष्य, और रसमें कटु और कुष्ठ को दूर करता है । होतीहै । यह पाकमें मधुरहै । वात, कफ,
पंचकोल। श्वास, खांसी को दूर करती है तथा रेचकहै। पञ्चकोलकमेतञ्चमरिचेन विना स्मृतम्१६४ इतने गुण युक्त होनेपर भी रासायनिक विधि गुल्मप्लीहोदरानाहशूलघ्नं दीपनं परम् ॥ के बिना पीपल अधिक परिमाण से संवन अर्थ-त्रिकुटा, चव्य, पीपलामूल और करना उचित नहींहै ।
| चित्रा इनमें से मिरच को छोडकर वाकी सोंठ के गुण ।
पांचको पंचकोल कहते हैं, यह पंचकोल नागर पिनं प्यं प्राहि यं विबन्धनुस् १६१ / गुल्म, प्लीहा, उदररोग, अफरा और शूल
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