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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir (७३६) अष्टाङ्गहृदयेषातसीकोलकुलत्थान्प्रसृतोन्मितान् ॥५५॥वहे विपाच्य तोयस्य द्रोणशेषेण तेन च ॥ पचेत्तैलाढकं पेष्यैर्जीवनीयैः पलोन्मितैः॥५६॥ अनुवासनमित्येतत्सर्ववातविकारनुत्॥अनुपानं वसा तद्वज्जीवनीयोपसाधिता ॥५७॥ शताह्वाचिरिबिल्वाम्लैस्तैलं सिद्धं समीरणे ॥ सैन्धवेनाग्निवर्णेन तप्तं वानिलजिद् घृतम् ॥ ५८॥ दोषोंको हरनेवाली और पारीहारसे संयुक्त स्नेह बस्तियोंको वर्णन करते हैं ॥५३॥ दशमूल खरेंहटी रायशण आसगंध शाँठी गिलोय अरंड कायफल भारंगी करंजुआ रोहिपतृण ॥ ५४ ॥ शतावरी कुरंटा काकजंघा ये सब चार चार तोले और जब उडद अलसी बेर कुलथी ये सब आठ आठ तोले ॥ ५५ ॥ इन्होंको ४०९६ तोले पानीमें पकाय जब १०२४ तोले पानी शेपरहै तब चार चार तोले परिमाणसे जीवनीय गणके कल्कको मिलाय २५६ तोले तेलको पकावै ॥ १६ ॥ यह अनुवासन बस्ति सब वातविकारों को नाशताहै । और जीवनीयगणके औषधोंकरके साधितकरी अनूपदेशके जीवोंकी वसा सब वातविकारोंको नाशतीहै।।५७॥शौफ करंजुआ कांजी इन्होंमें सिद्धकिया तेल वायुमें हित है अथवा अग्निवर्णवाले सैंधानमककरके तप्तकिया घृत वातको जीतता है ॥ ५८॥ जीवन्ती मदनं मेदांश्रावणी मधुकं बलाम् ॥शताहर्षभको कृष्णांकाकनासांशतावरीम्॥५९॥स्वगुप्तां क्षीरकाकोलीकर्कटाख्यां शठी वचाम्॥ पिष्टा तैलघृतक्षीरे साधयेत्तञ्चतुर्गुणे॥६०॥ बृंहणं वातपित्तघ्नं बलशुक्राग्निवर्द्धनम् ॥रजःशुक्रामयहरं पुत्रीयमनुवासनम् ॥ ६१॥ जीवंती मैंनफल मेदा गोरखमुंडी मुलहठी खरेहटी शौंफ ऋषभक पीपल काकजंघा शतावरी ॥ ५९ ॥ कौंचके बीज क्षीरकाकोली काकडासिंगी कचूर वच इन्होंको पीसकर चौगुने दूधमें तेल और घृतको साधित करै॥६० ॥ यह अनुवासन ब्रहणहै वात और पित्तको हरताहै बल वीर्य अग्नि इन्होंको बढाता है आर्तव और वीर्यके रोगको हरताहै और पुत्रके उपजानमें हित है ॥ ६१ ॥ सैन्धवं भदनं कुष्ठं शताबा निचुलो वचा ॥ ह्रीवरं मधुकं भाी देवदारु सकट्फलम् ॥६२॥ नागरं पुष्कर मेदा चविका चित्रकः शठी॥ विडङ्गातिविषा श्यामा हरेणुर्नीलिनी स्थिरा ॥६॥बिल्वाजमोदचपला दन्ती रास्ना चतैः समैः ॥ साध्यमेरण्डतैलं वा तैलं वा कफरोगनत् ॥६४॥ वर्मोदावर्तगुल्मा For Private and Personal Use Only
SR No.020074
Book TitleAshtangat Rudaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVagbhatta
PublisherKhemraj Krishnadas
Publication Year1829
Total Pages1117
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size30 MB
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