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(६९८)
अष्टाङ्गहृदये२५६ तोले इन्होंको मिला तेलको सिद्ध करै सेवित किया यह तेल कंप आक्षेप स्तम्भ शोष इन आदिसे संयुक्त कष्टसाध्य वातोंको और गुल्म उन्माद पीनस योनिरोगको नाशताहै ॥ ७० ॥
सहाचरतुलायास्तु रसे तैलाढकं पचेत्॥मूलकल्कादशपलं पयो दत्त्वा चतुर्गुणम् ॥ ७१ ॥ अथवा नतषड्ग्रन्थास्थिराकुष्टसुरा ह्वयानासैलानलदशैलेयक्षताद्वारक्तचन्दनान् ॥७२॥ सिद्धोऽ स्मिञ्छर्कराचूर्णादष्टादशपलं क्षिपेत् ॥भेडस्य सम्मतं तैलं तत्कृच्छ्राननिलामयान् ॥७३॥वातकुण्डलिकोन्मादगुल्मव
आदिकाञ्जयेत् ॥ कुरंटाके ४ ० ० तोले रसमें २५६ तोले तेलको पकाधै और मूलीका कल्क ४० तोले और चौगुना दूध अथवा ॥ ७१ ॥ तगर वच शालपर्णी कूट देवदार इलायची बालछड शिलाजीत शतावरी लालचंदन इन्होंको मिलावै ॥ ७२ ॥ सिद्ध हुये इसमें ७२ तोले खांडको मिलावै यह तेल साध्य वातरोगोंको हरताहै यह तेल भेडमुनिने मानाहै ॥ ७३ ।। और वातकुंडलिका उन्माद गुल्म वर्मरोग आदिको जीतताहै ॥
बलाशतं छिन्नरूहापादं रास्नाष्टभागिकम् ॥७४॥ जलाढकशते पक्त्वा शतभागस्थिते रसे।दधिमस्त्विक्षुनि-सशुल्कैस्तैलाढकं समैः॥७५॥ पचेत्साजपयोऽर्द्धाशं कल्कैरेभिः पलोन्मितैः॥ शठीसरलदायेलामञ्जिष्ठागुरुचन्दनैः ॥७६॥ पद्मकाति बलामुस्ताशूर्पपीहरेणुभिः॥यष्टयाह्वसुरसव्याघ्रनखर्षभकजीवकैः॥७७॥पलाशरसकस्तूरीनीलिकाजातिकोशकैःस्पृकाकुंकु. मशैलेयजातिकाकट्फलाम्बुभिः ॥ ७८॥ त्वक्कुन्दरुककर्पूर तुरुष्कश्रीनिवासकैः ॥ लवङ्गनखकङ्कोलकुष्ठमांसीप्रियंगुभिः।। ॥७९॥स्थौणेयतगरध्यामवचामदनकप्लवैः। सनागकेसरैःसिद्धे दद्याच्चात्रावतारिते॥८०॥ पत्रकल्कं ततः पूतं विधिना तत्प्रयोजितम् ॥ कासश्वासज्वरच्छर्दिमूर्छागुल्मक्षतक्षयान् ॥ ८१॥ प्लीहशोषमपस्मारमलक्ष्मी च प्रणाशयेत् ॥ बलातैलमिदं श्रेष्ठं वातव्याधिविनाशनम् ॥ ८२॥
और खरेहटी ४०० तोले गिलोय १०० तोले रायशण ५० तोले ॥ ७४ ॥ और इन्होंको २५६०० तोले पानीमें पकावै जब सौ वा हिस्सा शेषरहै तब दहीका पानी ईखका रस कांजी तेल
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