________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
(६०२)
अष्टाङ्गहृदयेअरंड कटेहली छोटीकटेहली गोखरू काले ईखकी जड इन्होंके कल्कको मीठे दहीके संग पीवै तो पथरी कटजाती है ॥ २१ ॥ डाभ कांस शर गुंठतृण इत्कट मूर्वा पाषाणभेद सफेदडाभ विदारीकंद वाराहीकंद चौलाईकी जड गोखरू ॥२२॥ सोनापाठा पाटला पाठा पतंग कुरंटा शाठी शिरस इन्होंके क्वाथमें घृतको पकावै ।। २३ ॥ अथवा काकडीआदिके बीजोंकरके व कमलकरके व मुलहटी करके व शिलाजीतकरके सिद्ध किया घृत पथरीको कारताहै ॥ २४ ॥
वरुणादिः समीरनो गुणावेलाहरेणुका ॥ गुग्गुलुमरिचं कुष्ठं चित्रकः ससुराह्वयः॥२५॥तैः कल्कितैः कृतावापमूषकादिगणेन च ॥ भिनत्ति कफजामाशु साधितं घृतमश्मरीम्॥ २६ ॥ वरुणादिगण वीरतरु आदिगण और इलायची रेणुका गूगल मिरच कूठ चीता देवदार ॥ २५ ॥ इन्होंके कल्कोंकरके और ऊषकादिगणके प्रतिवापकरके सिद्धकिया घृत कफकी पथरीको तत्काल काटता है ॥ २६ ॥
क्षारक्षीरयवाग्वादिद्रव्यैः स्वैः स्वैश्च कल्पयेत् ॥ यथायोग्य अपने अपने द्रव्योंकरके खार दूध यवागूआदिको कल्पित करै । पिचकोल्लकतकशाकेन्दीवरजैः फलैः॥ २७ ॥ पीतमुष्णाम्बु सगुडं शर्करापातनं परम् ॥
और करंजुआ कंकोल कैथ वरुण कमल इन्होंके फलोंकरके संयुक्त ॥ २७ ॥ गरम और गुडसे संयुक्त पानी शर्कराको गिराताहै ॥ .
क्रौञ्चोष्ट्ररासभास्थीनि श्वदंष्ट्रा तालपत्रिका॥२८॥अजमोदाकदम्बस्य मूलं बिल्वस्यचौषधम्॥पीतानि शर्करां भियुःसुरयो. ष्णोदकेन वा ॥२९॥
और कुंज ऊँट गधा इन्होंकी हड्डियां गोखरू मुशली ॥ २८ ॥ अजमोद कदंबकी जड बेलकी जड सूट ये सब मदिराके संग अथवा गरमपानीके संग पान किये शर्कराको नाशते हैं ॥ २९ ॥
नृत्यकुण्डलबीजानां चूर्ण माक्षिकसंयुतम्॥अविक्षीरेण सप्ताह पीतमश्मरिपातनम् ॥३०॥ क्वाथश्च शिग्रमूलोत्थः कटूष्णोऽ इमरिपातनः॥ तुंबरीके बीजोंके चूर्णको शहदमें मिला सातदिनोंतक भेडके दूध के संग पीवै तब पथरी गिरजाती है ॥ ३० ॥ कडुआ और कछुक गरमकिये सहोंजनकी जडका काथ पथरीको गिराताहै ।। तिलापामार्गकदलीपलाशयवसम्भवः॥३१॥क्षारः पेयोऽवि- . मूत्रेण शर्करास्वश्मरीषु च ॥
और तिल ऊंगा केला ढाक जब इन्होंका ॥ ३१ ॥ खार भेडके मूत्रके संग शर्करा और पथरीमें पीना योग्यहै ।।
For Private and Personal Use Only