________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
(४३०)
अष्टाङ्गहृदयेकीर्णोऽतिपीतलोहितपाण्डुरैः॥६२॥ मेचकाभोऽसितस्निग्धो मलिनः शोफवान्गुरुः ॥ गम्भीरपाकः प्राज्योष्मा स्पृष्टः क्लिन्नोऽवदीर्यते ॥६३ ॥ पङ्कवच्छीर्णमांसश्च स्पृष्टलायुशिरा गणः॥ शवगन्धिश्च वीसपै कर्दमाख्यमुशन्ति तम् ॥६४ ॥ सर्वजो लक्षणैः सर्वैः सर्वधात्वतिसर्पणः॥ कफपित्तसे ज्वर, स्तंभ, निद्रा, तंद्रा, शिरमें शूल, अंगकी शिथिलता और विक्षेप, प्रलाप, अरोचक, भ्रम ॥ ६० ॥ मूर्छा, अग्निको हानि, हड्डियोंका भेद अत्यन्त तृषा इंद्रियोंका भारीपन, आमका गुदाके द्वारा निकसना, खोंतोंका लेप उपजते हैं तब वह विसर्प ॥ ६१ ॥ विशेषताकरके 'आमाशयमें एक देशको ग्रहण करताहुआ फैलताहै, परन्तु शूलको नहीं करता और अत्यन्त पित्त, रक्त, पांडुर, फोड़ोंकरके व्याप्तहोता है ॥ ६२ ॥ और मोरके कण्ठके समान कांतिवाला और श्वेत पनेको वार्जत कर चिकना और मलीन और शोजावाला भारी और गंभीरपाकवाला अत्यन्त गरमाईवाला स्पर्श करनेमें क्लिन्नहोके फटजानेवाला ॥ ६३ ॥ कीचडकी तरह बिखरे हुये मांसवाला नस
और नाडियोंके गणसे छूटाहुआ मुर्दाके समान गंधवाला होता है तिसको मुनिजन कर्दमसंज्ञक विसर्प कहते हैं ॥ ६४ सबलक्षणों करके संयुक्त और सबधातुओंमें अत्यन्त फैलनेवाला विसर्प सन्निपातसे उपजता है ॥
बाह्यहेतोः क्षताक्रुद्धः सरक्तं पित्तमीरयन्॥६५॥विसर्पमारुतः कुर्यात्कुलत्थसदृशैश्चितम् ॥ स्फोटः शोफज्वररुजादाहाढ्यं श्यावलोहितम् ॥६६॥ पृथग्दोषैस्त्रयः साध्या द्वन्द्वजाश्चानुपद्रवाः॥ असाध्यौ क्षतसर्वोत्थौ सर्वे चाक्रान्तमर्मकाः॥६॥शी र्णस्नायुशिरामांसाः प्रक्लिन्नाः शवगन्धयः॥ ६८॥ .
और बाह्यकारणवाले क्षतसे कुपितहुआ वायु रक्त सहित पित्तको प्रेरितकरके ॥ १५ ॥ कुलथीके समान फोडोंसे व्याप्त और शोजा, ज्वर, शूल, दाह, इन्हेंसे संयुक्त और धूम्र तथा रक्तवर्णवाले विसर्पको करता है ॥६६॥ अलग अलग वात आदिदोषोंवाले तीन विसर्प रोग साध्य हैं
और उपद्रवोंसे रहित और दो दो दोषोंसे उपजे विसर्पभी साध्य हैं क्षत और सन्निपातसे उपजे मर्ममें प्राप्तहोनेवाले ॥ ६७ ॥ और बिखरीहुई नस नाडी शिरासे संयुक्त और अत्यंतकरके क्लिन्नहुये और मुर्दाके समान गंधवाले विसर्प रोग असाध्य हैं ।। ६८ ॥ इति बेरीनिवासिवैद्यपंडितरविदत्तशास्त्रिकृताऽष्टांगहृदयसंहिताभाषाटीकायां
निदानस्थानेऽत्रयोदशोध्यायः ॥ १३ ॥
For Private and Personal Use Only