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निदानस्थानं भाषाटीकासमेतम् । इत्यत्र जन्ममरणं यतः सम्यगुदाहृतम् ॥
शरीरस्य ततः स्थानं शारीरमिदमुच्यते ॥७४ ॥ इस प्रकारसे यहां शरीरका जन्म और मरण अच्छीतरहसे प्रकाशित कियां तिसी कारणसे मुनिजन इसको शारीरस्थान कहते हैं ॥ ७४ ॥ इति श्रीवैद्यपतिसिंहगुप्तसूनोर्वाग्भटस्य कृतावष्टाङ्गहृदय
संहिताया शारीरस्थानं समाप्तमध्यायश्च षष्ठः ।। यहां वैद्यपति सिंहगुप्तके पुत्र वाग्भटकी रची अष्टाङ्गहृदय संहितामें अध्यायषट्कात्मक शारीरस्थान समाप्त हुआ ॥ २॥ इति बेरीनिवासिवैद्यपंडितरविदत्तशास्त्रिकृताष्टांगहृदयसंहिताभाषाटीकायां
शारीरस्थाने षष्ठोध्यायः ॥ ६॥ इति श्रीमरादाबादनिवासिपण्डितज्वालाप्रसादमिश्रसंशोधिताष्टांगहृदयसंहिताभाषाटीकायां
शारीरस्थानं समाप्तमध्यायश्च षष्ठः ॥ ६ ॥
(निदानस्थानम् )
प्रथमोऽध्यायः।
हेतु लिंग औषध स्कंधके लक्षणवाला आयुर्वेद कहाँहै उसमें हेतुलिंग औषध सूत्रस्थानमें कही है फिर उनका आधार शरीर जानकर शारीरस्थान कहाहै अब रोगोंका आदि कारण निदान वर्णन करते हैं।
अथातः सर्वरोगनिदानं व्याख्यास्यामः॥ शारीरस्थानके अनंतर सर्वरोगनिदाननामक अध्यायका व्याख्यान करेंगे। इति ह स्माहुरात्रेयादयो महर्षयः॥ ऐसे आत्रेयआदि महर्षि कहते भये हैं ।
रोगः पाप्मा ज्वरो व्याधिर्विकारोदुःखमामयः॥१॥
यक्ष्मातङ्कगदाबाधशब्दाः पर्यायवाचिनः॥ रोग, पाप्म, ज्वर, व्याधि, विकार, दुख, आमय ॥ १ ॥ यक्ष्मा, आतंक, गद, बाध ये सब शब्द रोगके पर्याय कहेहैं ।
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