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विषय..
पष्ठ,
(२६)
अष्टाङ्गहृदयसहिताकी
पृष्ठ, विषय, लंघनीयमेहादिकोंका बृंहणनिषेध .... १४२ असनादिगण .... .... बंहितलक्षण
वरणादिगण .... लंघितलक्षण .... ......
ऊषकादिगण अतिबंहितलंघितलक्षण ....
वीरतरादिगण तहां उपचारकल्पना
रोधादिगण स्थौल्यसे कार्यको वरत्व .... .... अर्कादिगण कार्यमें औषध .... .... .... सुरसादिगण मांसको बृहणौषधल .... .... मुष्ककादिगण स्थूलकृशापक्रम .... .... ....
वत्सकादिगण उपक्रमोंको दोषगतिसे अतिरिक्तत्व.
वचादिगण होनेमें भी द्वित्वातिक्रमहोतानहीं ३७ १४६
हरिद्रादिगण अथपंचदशोऽध्यायः १५
नियंग्वादिगण
अंबष्ठादिगण अथ शोधनादिगणसंग्रहणाध्यायः .... १४६
मुतादिगण .... .... .... वमनकारकऔषध
न्यग्रोधादिगण .... .... .... " विरेचनकारक औषध
एलादिगण .... .... .... " निरूहणकारकऔषध
श्यामादिगण .... .... .... १५३ उत्तमांगशोधक
__इन औषधमें कहेभये औपधोंके लाभ न वायुनाशकारक ....
होनेमें उसीगुणका दूसरा औषध लेना इन पित्तनाशक .... .... ..... ,
गणोंका पानादि योजनासे रोगनाशकत्ल ४७ श्लेष्मनाशक जीवनीपगण
अथषोडशोध्यायः १६ विदार्यादिगण
| अथस्नेहविध्यध्यायः .... .... ११४ सारिवादिगण ....
स्नेहनविरुक्षणलक्षण .... .... " स्तन्यदुग्धका औषध
सर्पिरादिस्नेह उत्तम .... तृष्णादिनाशक .... विषादिनाशक ....
सर्पिरादिकोंको पित्तन्नत्व .... कफादिनाशक ....
घृतसे तैलादिकोंको यथोत्तरगुरुत्व .... पित्तादिनाशक ....
यमकस्नेहादिकोंका वर्णन..... आरग्वधादिगण ....
। स्नेह्यवर्णन .... .... .... "
वमन
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