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(११२)
अष्टाङ्गहृदयेवक्ष्यमाण रीति करके रसोंके संयोग ५७ हैं और इन्होंकी कल्पना ६३ प्रकारसे स्थूलताके अनुसार विभक्तकी जाती है, परंतु शरीरके उपयोगतापनें करके ।। ४० ॥
एकैकहीनांस्तान् पञ्चपञ्च यान्ति रसा द्विके ॥
त्रिके स्वादुर्दशाम्लः षट् त्रीन् पटुस्तिक्त एककम् ॥ ४१ ॥ और द्विक अर्थात् दो योगोंके संयोगतक पांचों रस पांचं रसोंको प्राप्त होतेहैं, जैसे मधुरअम्ल मधुरलवण मधुरतिक्त मधुरकटुक मधुरकषाय-अम्ललवणं अम्लतिक्त अम्लकटक अम्लकषायलवणतिक्त लवणकटुक लवणकोय-तितक₹ तिक्तकार्य-कटुकाये-ऐसे ये सब भेद मिलके इन्होंके पंद्रह १५ भेद जानो और त्रिक अर्थात् तीन तीन योग होनेसे मधुर रस १० भेदोंको प्राप्त होता है और अम्ल ६ भेदोंको प्राप्तहोता है और लवण तीन भेदोंको प्राप्त होता है और तिक्त एक भेदको प्राप्त होताहै ऐसे इन सबोंके मिलनेस बीस २० भेद होंगे जैसे मधुराम्ललवण १ मक्षु।म्लतिक्त २ मधुराम्लकटुक ३ मधुराम्लकषाय ४ मधुरलवणतिक्त ५ मधुरलवणकटुक ६ मधुरलवणकषाय ७ मधुरतिक्तकट ८ मधुरतिक्तकषाय ९ मधुरकटुकषाय १०। अम्ललवणतिक्त १ अम्ललवणकटुक २ अम्ललवणकषाय ३ अम्लतिक्तकटु ४ अम्लतिक्तकषाय ५ अम्लकटुकषाय ६। लवणतिक्तकटु १ लवणतिक्तकषाय २ लवणकटुकषाय ३। तिक्तकटुकपाय ४ ।। ४१ ॥
चतुष्केषु दश स्वादुश्चतुरोऽम्लः पटुः सकृत् ॥ पञ्चकेष्वेकमेवाम्लो मधुरः पञ्च सेवते ॥
द्रव्यमेकं षडास्वादमसंयुक्ताश्च षड्रसाः ॥ ४२ ॥ और चार रसोंके संयोग होनेसे जैसे-मधुराम्ललवणतिक्त मधुरीम्ललवणकटुक मधुराम्ललवणकषाय मधुराम्लतिक्तकटु मधुराम्लतिक्तकषाय मधुराम्लकटुकषाय मधुरैठवणतिक्तकटुक मधुरलवणतिक्तकषाय मधुरेकटुकषाय मधुगतिक्तकटुकषाय इस प्रकारसे मधुररस दश १० संयोगोंको प्राप्त होता है और अम्लरस चारयोगोंको प्राप्तहोता है जैसे अम्लेलवणतिक्तकटुक अम्ललवणतिक्तकषाय अम्लवणकटुकषाय अम्लतिक्तकटुकषाय ऐसे जानो और लवणतिक्तकटुकष ये ऐसे लवणरस एकही भेदको प्राप्त होता है एसे इन सबोंके मिलनेसे पंद्रह १५ भेद होते हैं और पांचरसोंके योग होनेमें अम्लरस एक भेदको प्राप्त होता है और मधुर रस पांच भेदोंको प्राप्त होता है जैसे अम्ल लवणतिक्तकटुकषाये और मधुरलवणतिक्तकटुकपाय मधुर अम्लतिक्त कटुकषायं मधुरअम्ललवणकटुकषायें मधुरअम्ललवणतिक्तकषायें मधुरअम्ललवर्णतितकटुक ऐसे ये छ हैं भेद जानों और छह रसोंके स्वादवाला १ एक द्रव्य और जुदे जुदे छह रस दूध वारुणी, विडनीन, नीम चव्य पद्म यह क्रमसे छः रसयुक्त हैं आमलेको बूराके साथ अदरकको लवणके साथ संयुक्त करै ॥ ४२ ॥
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