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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra • www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir उत्तरस्थानं भाषाटीकासमेतम् । (९५७) संयुक्त किया लेप ॥ २० ॥ अथवा बकरीके दूधमें पिसी हुई और शहद से संयुक्त संभलकी जडका लेप अथवा गायकी हड्डी मुसलीकी जड इन्होंमें घृत और शहद मिलाके किया हुआ लेप ॥ २१ ॥ जम्ब्वाम्रपल्लवा मस्तु हरिद्रे द्वे नवो गुडः 1 लेपः सवर्णकृत्पिष्टं स्वरसेन च तिन्दुकम् ॥ २२॥ जामनके पत्ते आनके पत्ते दहीका पानी हलदी दारूहल्दी नवनिगुड इन्होंका लेप अथवा स्वरसमें पिसेहुये तेंदुका लेप समानवर्णको करता है || २२ ॥ उत्पलपत्रं तगरं प्रियंगुकालीयकदम्बद रमजा ॥ इदमुद्वचनमास्यं करोति शतपत्रसङ्काशम् ॥ २३॥ नीले कमलके पत्ते तगर मालकांगनी दारूहल्दी कदंब बेरकी गुठली इन्होंका उबटना कमलके समान कांतिवाले मुखको करता है ॥ २३ ॥ एभिरेवौषधैः पिष्टैर्मुखाभ्यङ्गाय साधयेत् ॥ यथादोष का स्नेहान्मधुकक्काथसंयुतैः ॥ २४ ॥ इन्हीं औषधों के कल्कोंसे और मुलहटीका काथकरके दोष और ऋतुके अनुसार मुखकी मालिसके अर्थ स्नेहों को साधितकरै ॥ २४ ॥ यवान्सर्जरसं रोधमुशीरं चन्दनं मधु ॥ घृतं गुडं च गोमूत्रे पचेदादविलेपनात् ॥ २५ ॥ तद्भ्यङ्गान्निहन्त्याशु नीलिकाव्यङ्गदूषिकान् ॥ मुखं करोति पद्माभं पादौ पद्मदलोपमौ ॥ २६ ॥ यव राल लोध खश चंदन शहद घृत गुड• इन्होंको गोमूत्र में जबतक कडळीपै नहीं चिपकै तबकक पकावै ॥ २५ ॥ इसकी मालिशसे नीलिका व्यंग मूखदूषिका इन्होंको दूर करता है और कमलके समान मुखकरताहै और कमलके पत्ते के समान दोनों पैरों को करता है ॥ २६ ॥ कुंकुमोशीरकालीयलाक्षायष्ट्याह्वचन्दनम् ॥ न्यग्रोधपादास्तरुणान्पद्मकं पद्मकेसरम् ॥२७॥सनीलोत्पलमञ्जिष्ठं पालिकं सतिलाढके || पक्त्वा पादावशेषेण तेन पिष्टैश्च कार्षिकैः ॥ २८॥ लाक्षापत्तंगमंजिष्ठायष्टीमधुककुंकुमैः॥ अजाक्षीरद्विगुणितं तैलस्य कुडवं पचेत् ॥ २९ ॥ नीलिकापलितव्यङ्गवलीतिलक दृषिकान् ॥ हन्ति तन्नस्यमभ्यस्तं मुखोपचयवर्णकृत् ॥ ३० ॥ केशर दारूहल्दी दाख मुलहटी चंदन वडकी ताजी छाल कमल कमलकेशर ॥ २७ ॥ नीलाकमल मजीठ ये सब चार चार तोले और पानी २५६ तोले इन्होंको पकावै जब चौथाई भाग शेषरहे तब पिसेहुये और एक एक तोले प्रमाणसे संयुक्त ॥ २८ ॥ लाख लालचंदन मजीठ मुलहटी For Private and Personal Use Only
SR No.020074
Book TitleAshtangat Rudaya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVagbhatta
PublisherKhemraj Krishnadas
Publication Year1829
Total Pages1117
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size30 MB
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