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मिलने का पता
— श्रीहरिहर औषधालय, बरालोकपुर-इटावा यू० पी० ।
४२ - सांख्य तत्व कौमुदी
सांख्य शास्त्रको समझाने के लिये सांख्य तत्व
ही एक विशिष्ट ग्रंथ माना जाता है. संस्कृत के विद्यार्थी और साधारण हिन्दी भाषा भाषी इसके महोपकारी लाभ से अभी तक बञ्चित ही थे उन्हीं के हितार्थ इस अलौकिक ग्रंथ की सरल-सुबोध हिंदी टीका भी संस्कृत टीका के साथ प्रकाशित कर दी गई है। इसमें मूल, संस्कृत टीका वाचस्पति मिश्र कृत और नीचे विस्तृत हिन्दी टीका दी गई | है। अतः सभी श्रेणीके लोगों के लिये बहुत उपयोगी
कीमत केवल १||) मात्र | मन बहलाव के लिये
इन्दुमती - दिखाने वाला है। कीमत )
بعد
धातु सम्बन्धी सारे विकारों का विशद् रूप से विश्लेषण है। उनका मारण, शोधन आदि सुन्दर सुखावाई व सुखिया मालिन - भक्तिप्रेम तथा मुहावरेदार हिन्दी में वर्णित है | आज हीएक कार्ड डाल दीजिये नहीं तो “चिड़ियां चुग गई खेत पुनि का पछताये होत है" । म० १) उपदेशांक
की पराकाष्ठा है । की०)
हंसडिंभ - प्रेम करुणा का जीता जागता फिल्म है । की० 1)
द्रोपदी -- धर्म द्वेषियों को शिक्षाप्रद है ।
- दाम्पत्य प्रेम की अलौकिकता
1)
सां० नरसीभक्त - भगवान भक्तों की रक्षा कैसे करते हैं। की० ।)
नरसीभक्त- - यह हारमोनियम पर गाकर घर भर को सुखी बनाने का साधन है और कथा वाचकों के लिये प्रत्युपयोगी है । की० 1 )
पूरा सेट ५ पुस्तकों का एक साथ लेने पर १) रु० में दिया जा सकेगा ।
अनुभूत योगमाला के विशेषांक
बाजीकरणांक
[ ७ ]
के बताये रतिरहस्यका सुन्दर विशद् वर्णन जिसका जानना जरूरी है । इस लिये कि इसमें अनुभूत तथा चिकित्सा आदि भी सम्मिलित हैं । मू० १) मात्र । संग्रहणी अङ्क
यह बताना बिल्कुल ही आवश्यक है कि इसमें क्या है | जब देखो तब लोटा लिये पाखाने पर बैठे हैं। क्या बुरा मालूम होता है । अजीब किस्म की दिन भर कसरत करनी पड़ती है । जो इसके १७॥ के फेर में पड़ा, बस उसका मरण होता है । इस अंक में शतशोऽनुभूत प्रयोग और उपचार आदि सभी वर्णन किये गये हैं । बहुत थोड़ी प्रतियां शेष हैं, शीघ्रता कीजिये । म० ॥
धात्वंक
अहा ! क्या यही कि बाजीकरण पढ़िये? जानते हैं; इसमें क्या है वही कोका प्रणीत कोकशास्त्र आदि
नवयुवकों की असंमयशीलता तथा असाव धानी का इतना भीषण परिणाम निकला है । कि आज घर २ इसका प्रचार हो रहा है, उसी के नाश करने के सुगम उपाय एवम् चिकित्सा इसमें वर्णित है। हम चाहते हैं कि इस अंक का प्रचार घर २ हो । ११ चित्रों के सहित इस अपूर्व संग्रह का दाम सिर्फ १) मात्र है ।
नव्यरोगांक दूसरा भाग
भारतवर्ष में कौन २ नवीन रोगों ने आकर अपना आतंक जमाया है और जिनका प्रवेश आयु र्वेद में नहीं है । इस कारण निदान एवं चिकित्सा
वैद्यों को विमुख होना पड़ता है। इसलिए वैद्यों के उपकारार्थ बड़ी खोज के साथ इसको प्रकाशित किया है। इसको मंगाकर अवश्य देखें । कीमत द्वितीय भाग || ) है ।