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श्रीहरिहर औषधालय बरालोकपुर इटावा यू० पी० के
पुस्तक विभाग का
सूचीपत्र
इसमें
अत्यन्त उपयोगी, नवीन ढंगसे लिखी हुई अनुभव पूर्ण पुस्तकें प्रकाशित कराई जाती हैं । जिनका प्रत्येकघर में रहना और आबालस्त्री पुरुष के लिये पढ़ना अत्यावश्यकीय है। इनके कई कई संस्करण होना इनकी उपयोगिता के ज्वलंत प्रमाण हैं मंगाकर देखिये | आयुर्वेदीय उच्च कोटि की सचित्र मासिक पत्रिका अनुभूत योगमाला
नियम
११ - एक रुपये से कम की कोई पुस्तक बी० पी० से नहीं भेजी जाती है। कम की पुस्तकें मंगाने के लिए टिकट भेजें और रजिष्ट्री खर्च मय पोस्टेज के भेजना चाहिये ।
२- जो लोग अपने शहर में हमारी पुस्तकें बेचने की एजेन्सी लेना चाहेंगे तो उन्हें २५) सैकड़ा कमीशन दिया जावेगा ।
३– एक रुपया प्रवेश फीस भेजने वाले स्थाई ग्राहक समझे जाते हैं, उन्हें प्रत्येक पुस्तक पौने मूल्य में दी जाती है।
४— ये इतनी उपयोगी पुस्तकें हैं कि कोईघर ऐसा न रहना चाहिये, कि जिसमें यह पुस्तकें नहीं, समय पड़ने पर एक बड़े डाक्टर का काम देंगीं, इस कारण जनता ने इन्हें खूब पसंद किया है, एक वर्ष के भीतर ही दुबारा छप चुकी हैं।
५-घर २ में प्रचार करने की हमारी इच्छा है अतः प्रत्येक गांव, कसबा और शहर में हमें अपनी पुस्तकों को बेचने के लिए एजेन्ट चाहिये, जो एजेन्ट होना चाहें पत्र व्यवहार करें।
यह मासिक पत्रिका आज २० वर्ष से आयुर्वेदीय चिकित्सा का चमत्कार दिखाने और हकीम वैद्यों से निराश होगियों के रोग का हाल छपाकर भारतीय प्रसिद्ध२ वैद्यराजों की सम्मतिलेकर रोगमुक्त करने केलिये प्रगटित होती है। अनुभूतयोग एवं उत्त मोत्तम लेखों के द्वारा थोड़ा पढ़ा लिखा आदमी भी वैद्यबन जाता है, इसी कारण इसनेइतनेथोड़े समयमें ही बहुत ख्याति प्राप्ति की है, जो आजतक अन्य आयु बंदीय पत्रों ने नहीं प्राप्त कर पाई, इसके विषय में बहुत कुछ कहना अपनी तारीफ करना है, बस एक बार आजमायें अवश्य मंगाकर अवलोकन करें, वार्षिकपेशगी मू० मनीआर्डर से ४) बी० पी० मंगाने पर ४ | = ) देना होगा, नमूना मुफ़्त मंगाकर देखें | निवेदक- मैनेजर