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________________ कहेस २४५० कारछाल है जो कड़ी, मोटी, खुरदरी, मटियाले एवं | कह फ़, किह फ़-[१०] [ बहु० अक हाब, कह फ + लाल गेरू के रंग की होती है । कहेला कहेली में | खोपड़ी की एक हड्डी । पाश्चिकास्थि । अजमुल भेद केवल इतना है कि कहेला मोटी छाल है शाफ ज । Parietal. और कहेली पतली । ये दोनों चीजें सलोखा-तज | हब-[:] कच्चा और हरा अंगूर । और किफ्रें-दालचीनी से भिन्न और उनके मध्य | | कह. ब-[१०] (१) अतीव वृद्ध पुरुष। बड़ी उमर का श्रादमी। (१) खाँसना ।। गुणधर्म तथा प्रयोग-ये वृक्क और कटि को कह बः-[ अ० ] पुश्चली स्त्री। दुराचारिणी । वलप्रद हैं और स्त्री गुह्यांग से नाना प्रकारके स्रावों । छिनाल । बदकार औरत । का निवारण करती हैं। प्रायः ललनागण इसे नोट-कह बं का धात्वर्थ खाँसना है और पिडियों में डालकर खाती हैं। प्रायः इसका उपयोग कह बः इसी से व्युत्पन्न है । क्योंकि यमन देशीय करती हैं, विशेषतः उन पिचु वर्तिकाओं में। पुश्चली नारीगण पुरुषों को खकारकर बुलाती (ता० श.। ख० अ०) थीं। इसलिये उनको कहबः के नाम से अभिहित कहेसरु-[ करना०] बन मूग । मुद्द्रपर्णी । मुगवन । किया गया। किसी किसी के अनुसार कह बः कहोला भाजी-[ वम्ब० ] बुस्तान अफ़रोज़ । वकाहत से व्युत्पन्न है जिसका अर्थ निर्लज्जता है। कहक़व-अ.] बैंगन । भंटा । कह म-[अ०] बहुत बूढ़ा। अतीव वृद्ध । पीर कहकम्-[१०] बैंगन । भंटा । फतूत । कह कर-[अ०] (१) उलटा चलना । (२) कहरल-[ ] जर्जीर । जिसमें किसी चीज़ को घिसें । (३)बहुत काला हसूस-[यू०] करासिया । बालूबोखारा । कौना। पहाड़ी कौश्रा। कह रुबत-[अ.] किसी वस्तु पर वैद्युतिक शक्ति नोट-मुहीत आजम में इसी अर्थ में इस प्रवाहित करना | Electrify. . शब्द का उच्चारण "कहकर" किया है। पर यह कहाबा-अ. काह+रुबा 1 दे० "कहरुवा" । उच्चारण ग़लत है । गोंद के अर्थ में भी उक्न | वहरुबा शमई-१० कहरुवा भेद । उच्चारण से यह शब्द देखने में नहीं पाया। कहरुवाइय्यः, कहरुबिय्यः-[१०] कहरुबाई शनि । कह कर-[१०] (1) बड़ी उम्र का वह बकरा विद्युच्छकि । Electricity. जो पहाड़ी हो वा पहाड़ी न हो। (२) कठोर कहल-[१०] [ बहु० कहूल, कहाल कहलान् ] पाषाण | सख्त पत्थर । कहकार । (३)चिकना अधेड़ । अधेड़ अवस्था का श्रादमी । चालीस से काला पत्थर । साठ वर्ष की अवस्था तक का श्रादमी । कहकहः-[१०] अट्टहास । खिलखिलाकर हँसना। कहल:-संज्ञा पुं॰ [सं पु.] जू नामक कीट । दे. “जह क"। कह ल-दे. "कुह ल"। कह कहर-[ यू.] सर्जरस । सालवेष्ट । राल । [१०] आँख में सुरमा लगाना । Tratai Resin. कह ल-[अ० ] त्वचा का खुरदरा और कठोर होना । कहकहार, कहकार-[अ० ] कठोर पाषाण । सख़्त स्वक कार्कश्य एवं काठिन्य । क़शन । पत्थर । करण-संज्ञा पु[सं० पु.] कलहण, राजतरङ्गिणी कह कर-[अ.] पाषाण । पत्थर | म० अ०। __ के प्रणेता । दे० 'कल्हण" । मु.पा.। कलक-संज्ञा पु० [सं० वी० ] कतार । शुदिफुलकहजक, कहज़ल-[फा०] जीर। बं० । भा० पू० १ भ० गु० व०। कह त-[१०] (1) एक पौधा । (२) दुर्भिक्ष । | कह लत, कहलम्-[फा०] बैंगन । भंटा । अकाल । खुश्कसाली । अनावृष्टि ।Draught करार-संज्ञा पुं० [सं० की. ] (१) सफेद कुईं। कदल-[१०] मकड़ी। धवलोत्पल । कुमुद । रा०नि• व०१०वि०
SR No.020062
Book TitleAayurvediya Kosh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
PublisherVishveshvar Dayaluji Vaidyaraj
Publication Year1942
Total Pages716
LanguageGujarati
ClassificationDictionary
File Size24 MB
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