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एसिडम्-कार्बोलिकम्-लिकिडम्
पुनः विशेष शोधनों से प्राप्त होता है। कार्बोलिक एसिड । कार्बोलिकाल । वि० दे० "कार्बोलिकाम्ल " । एसिडम्-कार्बोलिकम्-लिक्विडम् [ ले० acidumcarbolicum liquidum ] जलमिश्रित कार्बलिक अम्ल | एसिड कार्बोलिक सिन्थेटिकम् - [ ले० acidum carbolicum syntheticum ] संधान की विधि द्वारा प्रस्तुत कार्बलिकाल 1 एसिडम्-केथार्टिकम् [ ले०_acidum-catharticum.] कैथार्टिक एसिड । एसिडम्-कैन्थारी/डस - [ ले० acidum-cantharidis ] तेल नीमक्खी का तेज़ाब । एसिडम्-क्रेसीलिकम् - [ ले० acidum-cresylicum ] क्रेसोल (cresol ), क्रेसिलिक एसिड cresylic acid ( श्रं० ) । क्रेसोलाज - हिं० । हर जुल क्रेसिलिक । हानि. क्रेसि लिक, तेज़ाब क्रेसिलिक ( उ० ) ।
यह एक वर्णहीन वा ईषत् पीत वर्ण का द्रव है जो कतरे ( कोल टार ) से प्राप्त होता है । इससे टार की सी गन्ध श्राती है । इस अभ्ल को उत्तम शीशे की डाटवाली अंबरी रंग की शीशी में रखना चाहिए ।
विलेयता - यह एक भाग ८० भाग पानी में तथा एलकोहल, ईथर, क्रोरोफार्म, ग्लीसरीन और श्रालिह्न श्रइल में सरलतापूर्वक घुल जाता है ।
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गुण-धर्म तथा प्रयोग
यह नि:संक्रमण कारक (डिसइन्फेक्टेंट) और जीवाणु नाशक (ऐंटीसेप्टिक ) है | इसको सुँघाने से हूपिंग - कफ (कुकर खाँसी) तथा श्वास के अन्यान्य रोगों में उपकार होता है । परन्तु इसका उपयोग किसी भाँति उचित नहीं है ।
योग - ( Preparations )
(1 ) लाइकर क्रीसोलिस कंपोज़िटस Liguor Ciesolis compositus. (ले० ) । मिश्रित क्रीसोल द्रव |
निर्माण क्रम - क्रेसोल ५० भाग लिनसीड इल ३५ भाग, पोटेशियम हाइड्रो श्राक्साइड बभाग, पुलकोहल ४ भाग श्रोर जल श्रावश्यकता
एसिडम्-क्रेसीलकम्
नुसार वा इतना, जितने से सम्पूर्ण द्रव पूरा सौ १०० भाग होजावे ।
नोट- सभी श्रंश तौल कर डालें, मोप कर
नहीं ।
प्रभाव - यह कार्बोलिक एसिड की अपेक्षा प्रवलतर कीटन ( Germicide) बतलाया जाता है ।
( २ ) लाइकर क्रीसोली सैपोनेटस— ( Liquor cresoli Saponatus ) ( ले० ) ।
निर्माण विधि - कच्चा ( क्रूड ) क्रेसोल १ भाग, सैपोकैलीसन १ भाग, दोनों को गरम करके मिलावें । यह एक भूरा पीताभ द्रव बन जाता है।
नोट-डच प्रदेश के फार्माकोपिया में भी यह योग सर्वथा ऐसा ही है । भेद केवल इतना ही है कि उसमें दो प्रतिशत जल भी मिला दिया जाता है । इसी यौगिक की अन्य संज्ञा लाइसोल है जिसका उल्लेख आगे आयेगा ।
(३) सोल्यूशियो क्रेसोलिस सैपोनेटिसSolutio Cresolis Sponatis (ले० ) । निर्माण विधि - क्रेसोल ५० भाग लिनसीड इल १८ माग, पोटाशियम् हाइड्राक्साइड ४ भाग, एलकोहल २ भाग,ग्लीसरीन ६ भाग, परित जल उतना जितने में कि संपूर्ण द्रव पूरा एक सौ भाग होजाय ।
नोट - समग्रांशों को मापकर ही डालना चाहिये । ज़ेज़फ्लुइड नामक श्रधोलिखित योग कई एक पेटेण्ट औषध का प्रधान श्रवयव है ।
( ४ ) जेज़फ्लुइड Jey's fluid—यह - टार श्राइल का एक यौगिक है । इसमें २० प्रतिशत ट्राइ सोल, राल एवं खार के साथ साबुन की शकल में संमिश्रित होता है । यह जल के साथ मिलकर एक स्थायी एमलशन का निर्माण करता है । इसका एक वा दो प्रतिशत का दिलयन कार्बलिक सोल्युशन के स्थान में उपयोगित होता है । यह पूयमेह (सूज़ाक ) तथा नासा दौर्गन्ध्य में उपकारी होता है । ४०० भाग में १ भाग की इसकी उत्तरवस्ति और रक्तावरोधक और कृमिनाशक