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________________ करांकुस २१३५ करातारिगोविन है। इसके उपयोग काल में रोगन अखरोट पियें | कराग्र पल्लव-संज्ञा पु० [सं० पु.] उँगलीं। और मर्दन करें और अंधेरी कोठरी में बैठे। इसके | अंगुली। पित्ते का सुर्मा मोतियाबिन्दु रात्र्यंध और नाखूने | करापात-संज्ञा पु० [सं० पु.] बड़ी उँगली ।वृद्धा. को कल्याण प्रद है। श्वित्र में इसका लेप उपकारी है । इसके पित्ते और भेजे का चमेली के करांकुल-संज्ञा पुं॰ [सं०] एक जंतु । तेल के साथ नास विस्मृति रोग का निवारण करांकुश-संज्ञा पुं० [सं० पु.] नख । नाखून । करता है और बालसफेद नहीं होने देता। सिरके में शब्दर। इसकी चर्बी मिलाकर पीने से प्लीहा की सूजन उतरती है। -बु.मु.। कराङ्गण-संज्ञा पुं॰ [सं० क्रो० ] वाजार । हह । करांकुस-[बं०, सं० कराङ्कुश ) लामज्जक । लमजक । हारा०। करांकुस । (Andropogon iwaranc करांगुल-संज्ञा स्त्री० [सं० पु.] हाथ की उँगली। usa Roxb. ) कराचीन-संज्ञा पुं॰ [सं० पु.] खञ्जन । खहरैचा । द्विरूपको० । करॉठ-संज्ञा पुं॰ [सं० कुरंट] कटसरैया। पियाबाँसा । | कराचोरकऊदी-[ तु० ] कलौंजी | शोनीज़ । कराँत-संज्ञा पुं० [सं० करपत्र, प्रा० करवत्त ] पारा । कराज-[?] (1) बाबूना । (२) उकहवान । करपत्र । कराज:-[१०] एक प्रकार की मिठाई । करांपु-[ मला०] ) करनाल । लौंग । करात-संज्ञा पुं० [अ० कीरात ] एक तौल जो चार करांबु- ता०] जौ की होती है और प्रायः सोना, चाँदी वा दवा करा-[सिरि०] कह। तौलने के काम में आती है। कराव[१०एक प्रकार की चिड़िया जो ऊदसलीच कराजिया-रू.] आलूबालू । ___ को अपने घोंसले में ले जाती है। कराताजह-[ तु० ] शुहरूर । करा आस झाझा लूतन-1-यू. शामी गंदना । करातात-[ तु.] एक प्रकार का फल जो कालीमिर्च करा आस बाबा लुतन की तरह होता है । इसका स्वाद ज़रिश्क के समान कराइचा-[?] इंद्रजव। किंचित् अम्ल होता है। गुण धर्म में भी यह कराइजा-संज्ञा पुं०, चाँदनी। नन्दीवृक्ष । Rose उसके समान होता है । कदाचित् यह ज़रिश्क की bay. (२) कड़वा इन्द्रजौ। ही एक किस्म हो । जिन्होंने इसे 'ज़फ्राल' समझा कराइत-संज्ञा पु० [सं० किरात, हिं० कारा, काला] है उन्होंने भूल की है । 'जुकाल' करानिया है। ___एक प्रकार का काला साँप जो बहुत विषैला होता (ख० अ०) है। करैत । करातारिगोयिन-[?] एक अप्रसिद्ध पौधा । कराकर-[ माज़ंदरानी ] शकराक । एक उद्भिज जिसकी शाखाएँ अत्यन्त गाँठदार कराकिर-[अ० बहु.] (Curgling, Borbo होती और एक ही जड़ से निकलती हैं। इसकी ... rygmus) पेट की गुड़गुड़ाहट । अंतड़ियों में पत्तियाँ गेहूं की पत्तियों की तरह होती हैं । बीज ____ वायु-संचय से इस प्रकार की आवाज़ पैदा बाजरे के दाने की तरह होता है और स्वाद होती है। अत्यन्त तीव्र होता है। यह छायादार स्थानों कराकीनूस-[ यू०] उश्तरगाज़ । और नोनी ज़मीन में उत्पन्न होता है। कोई कोई करारूत, क़राक़रूत-[तु०, शीराज़ी] दुग्धाम्म । कहते हैं कि यह जंगली गेहूं है। : रवीन | Lactic acid प्रकृति-यदि स्त्री ऋतु-स्नानोत्तर और पुरुष कराक्रूस-[ तु.] उकाब। दोनों ॥ माशे इसके बीज पीसकर थोड़े से पानी कराग्र-संज्ञा पुं॰ [सं० को०] करिपुरका । हाथी | के साथ खाकर संगम करें, तो लड़के का हमल के सूंड़ का सिरा ।हला० । औरत को रह जाय । (ख० म०)
SR No.020062
Book TitleAayurvediya Kosh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
PublisherVishveshvar Dayaluji Vaidyaraj
Publication Year1942
Total Pages716
LanguageGujarati
ClassificationDictionary
File Size24 MB
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