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________________ करत २२०० करनफले बुस्तानी करत-दे. “कुर्त"। करद्रुम-संज्ञा पुं॰ [सं० पु.] कुचले का पेड़ । करतन:, करतीन:-[फा०] मकड़ी का जाला। __ कारस्कर वृक्ष । रा०नि० व०६। । करतम-संज्ञा प० [?] जहर ( कदाचित् मीठा करधक-[ बम्ब ] ( Perdin eylvatica) तेलिया) का एक भेद । क्रकर । करकटिया । करतर-[ ? ] अकरकरा। करधनी-संज्ञा पु० [हिं० काला धान ] एक प्रकार करण्डक-संज्ञा पुं० [सं०पु.] बाँस की डलिया या | ___ का मोटा धान जिसके ऊपर का छिलका काला पेटारी । और चावल का रंग कुछ लाल होता है। करधर-संज्ञा पुं॰ [देश॰] महुए के फल की रोटी । करतरी-संज्ञा स्त्री० दे० "कर्तरी"। महुअरी। करतल-संज्ञा पुं० [सं० पुं०] [स्त्री० करतली] करन-संज्ञा पुं॰ [देश॰] ज़रिश्क । (१)हाथ की गदोरी। हथेली हस्ततल । करनकुस-[40] घाट जड़ी। "ऊद्ध करतलेस्मृतं"। रा०नि०व०१८। करनतुत्ति-[ ता. ] काली कंघी का पौधा । करतल सङ्कोचनी-संज्ञा स्त्री० [सं० स्त्री.] मांस करनतूत-[पं०] कीमु । ही। पेशी विशेष । हाथ को बटोरनेवाली पेशी। हाथ को बन्द करनेवाली पेशी । करनपात-संज्ञा पु० [हिं० करन, सं० कर्ण पात= पत्ता] एक घास जो पत्र विहीन, फल शून्य, करतली-संज्ञा स्त्री० [सं०] हथेली । कटे हुये नाखून की तरह कालापन लिये भूरे रंग करतलीय अस्थ्यन्तरिका-संज्ञा स्त्री० [सं० स्त्री.] की होती है। यह बदमज़ा और कडुई होती है। नाड़ी विशेष । अफ्रारजन। करताल-संज्ञा पुं॰ [सं० की.] दे॰ “करताली"। प्रकृति-प्रथम कक्षा में उष्ण और रूक्ष । करताली-संज्ञा स्त्री० [सं० स्त्री.] (१) करताल हानिकर्ता-मस्तिष्क को। नाम का बाजा । करतारी । (२) दोनों हथेलियों दर्पघ्न-उन्नाब। के परस्पर आघात का शब्द । ताली । हथोड़ी। प्रतिनिधि–इन्द्रजौ और सुपारी के फूल । करतलध्वनि। (३) ताड़ की मादा। मात्रा-६ मा० से १ तो० १॥ मा० तक । करतान:-[फा०] मकड़ी का जाला। गुणधर्म तथा प्रयोग–यह यर्कान स्याह करतृण-संज्ञा पुं० [सं० श्री.] केवड़ा । सफ़ेद | ( Black Jaundice) तथा शुष्क कास केतकी। में उपयोगी है। अनिद्रा रोग में इसका विशेष करतोय-संज्ञा पु० [सं० की.] अोले का पानी। (बिलख़ासा) प्रभाव होता है। इसका तेल पत्थर का पानी । वर्षांपल जल । तर व शुष्क खुजली एवं अण्ड शोथ के लिये करदम-संज्ञा पु० दे० "कर्दम"। गुणकारी है। उक्त रोग में सिरके में पकाकर करदल, करदला-संज्ञा पुं॰ [देश॰] एक प्रकार का इसका प्रलेप करते हैं । ख. अ०। यह स्वरोगों छोटा वृक्ष जो हिमालय में पाँच हजार फुट की में गुणकारी है और त्वचा के काले धब्बों को ऊँचाई तक पाया जाता है। पत्तियाँ छोटी-छोटी | मिटाता है। और गुच्छे के रूप में टहनियों के सिरों पर होती सापाला का हैं । पतझड़ के बाद नई पत्तियाँ निकलने से पहले। इसमें पीले रंग के फूल लगते हैं जिनके बीच में | करनफल-[अफरीका ] करन्फुल शामी । दो-दो बीज होते हैं । इसके बीज खाये जाते हैं। करनाल, करनाल-अ.] लौंग । लवंग । यह मार्च अप्रैल में फूलता है। | करनालीन-अ लौग का सत । लौंगीन । करदार-[१] दरदार । केरियोफाइलीन । करदौना-संज्ञा पुं० [सं० करxहिं० दोना ] दौना। | करनाले बुस्तानी-[१०] रंजमिश्क के पत्ते ।
SR No.020062
Book TitleAayurvediya Kosh Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
PublisherVishveshvar Dayaluji Vaidyaraj
Publication Year1942
Total Pages716
LanguageGujarati
ClassificationDictionary
File Size24 MB
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