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काविस
२०५७
कनीनिका
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सर्दी।
कनाबिस-[यू०] भाँग।
| कनिष्ठिका-संज्ञा स्त्री० [सं० स्त्री.] पांचों उंगलियों क्रनाबि ( ब ) स इगरिया-[ यू. ] जंगली में से सबसे छोटी उँगली । कानी उँगली । भांग ।
छिगुनी। कनाबूस-यू.] विजया बीज । तुख्म भंग। शहदा- कनिष्ठिकाकुचनी-संज्ञा स्त्री० [सं० स्त्री.] उक्न नज।
___नाम की एक पेशी जो कानी उँगली को श्राकुकनामिस, कनामीस, कानामीस- यू.] बिजया
चन करती है। बीज । तुम भंग । शहदानज ।
कनिष्ठिका पकर्षणी-संज्ञा स्त्री० [सं० स्त्री ] उक्त कनामुल्ल-[ मदराप्त ] अगरु ।
___ नाम की पेशी । यह छिगुनी को अपकर्षण करती (Dysoxylam malabaricum,
Bedd.) कनार-संज्ञा पुं॰ [ देश०] घोड़ों का जुकाम वा
(Abductor digiti quinti.)
| कनिष्ठिका प्रत्याकुचनी-संज्ञा स्त्री० [सं० स्त्री.] कनारियः-[?] एक बूटी जो कंकड़ीली और नमनाक
उक्त नाम की एक पेशी । जो कानी उंगली को जगहों में होती है। कंकर । हर्शफ।
प्रत्याकुंचन करती है। अ० शा० । (Opponens कनारी-संज्ञा स्त्री० कंटक । काँटा ।
digitiquinti) दे० "मांसपेशी"। कनाला-[?] हुरहुर । अर्कपुष्पी।
कनिष्टिका प्रसारिणी-संज्ञा स्त्री० [सं० स्त्री० ] कनाली-[१] संधी । ताड़ी।
छिंगुनी को फैलाने वाली एक पेशी । [मदरास ] बनचंपक ।
(Extensor digiti quinti pro ( Evodia roxburghiana, | prius) दे० "मांस पेशी"। Benth.)
कनिष्टिका बहिर नायनी-संज्ञा स्त्री० [ सं० स्त्री०] कनिश्रा-[पं०] कनेर।
एक पेशी बिशेष । दे० "पेशी"। कनिवारी-संज्ञा स्त्री० [सं० कर्णिकार ] कनकचम्पा कनिष्ठा संकोचनी ह्रस्वा-संज्ञा स्त्री० [सं० स्त्री.] का पेड़ । कनियार । दे० "कर्णिकार"।
एक पेशी विशेष दे० “पेशी" । कनिएर-द.] कर्णिकार । छोटा सोंदाल ।
कनी-संज्ञा स्त्री० [संज्ञा स्त्री० ] कन्या । लड़की । हे० कनिक-संज्ञा स्त्री० [सं० कणिक] (१) गेहूं। च।
(२) गेहूं का मोटा पाटा । ( महीन आटे को कनागिल- कना० ] कनेर । .. मैदा कहते हैं।
| कनीचि-संज्ञा स्त्री० [सं० स्त्री० ] (1) गुजालता कनिका-दे० "कणिका"।
घुघची की बेल । श०२०। (२) सपुष्पलता कनिक्या-संज्ञा स्त्री० [सं० स्त्री० ] समिता । गेहुँ का |
फूलदार बेल । उणादि कोष । (३) शकट । पाटा । मैदा । श० च० । कनिक ।
गाढ़ी। कनिचि-संज्ञा स्त्री० [सं० स्त्री०] (१) सूरन । कनीनक-संज्ञा पुं॰ [सं० पु.] आँख की पुतली । शूरण । प० मु. । (२) गुजा ।घुधची।
___ कनीनिका । (२) बालक । लड़का । कनियार-संज्ञा पुं॰ [सं. कर्णिकार ] कनकचंपा।
कनीनका-सज्ञा स्त्री० [सं० स्त्री० ] कन्या। लड़की । कनियाल-[१] केले के तने का गूदा। कनिष्ठ-वि० [सं० त्रि०] [स्त्री० कनिष्ठा ] बहुत
कनीनिका ( कनीनी)-संज्ञा स्त्री० [सं० स्त्री० ]
(१) अांख की पुतली का तारा । अक्षितारक । छोटा । अत्यन्त लघु । सबसे छोटा।
श्रांख की पुतली । (Cornea) रा०नि० व० कनिष्ठक-संज्ञा पुं० [सं० को०] शूक तृण । श०
१८ । (२) कनिष्टांगुली । कानी उँगली । छिगनी च०। सूकड़ी घास। कनिष्ठा-संज्ञा स्त्री० [ सं० स्त्री.] छोटी उँगली। मे० कचतुष्क । (३) घोड़े के नाक के समीप . छिगुनी । कनगुरी । रा० नि०व०१८ ।
का भाग । ज० द० २ १० । (४) कन्या । ३८ फा.