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क़तरान
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कत रान लिया जाता है । तब उसे ज़िफ्त याबिस कहते हैं
असम्मत योग ज़िक्त जबली से कतरान मश्र दनी (खालिज) . (Non-official Preparations) अर्थात् अलकतरा अभीष्ट है, जिसका वर्णन अलक (१) सिरुपस पाइसिस लिकिडी (Syrतरे में होगा। ज़िफ़्त बहरी भी वस्तुतः ज़िफ्त upus Picis Liquide )शर्बत कतूरान । जबली या कीर ही है या संभवतः कतरान सनो- योग-टार ५.. ग्राम, शर्करा ८५० ग्राम, बर बहरी हो।
सुरासार (६०%) १२.५ मिलिग्राम, (Mil.) देवदादि वर्ग
जल १००० मिलिग्राम ( Mils.) पर्यन्त । ( N. O. Conifere)
गुण प्रयोगादि-यह शारदीय कास उत्पत्ति स्थान-फ्रांस, पुर्तगाल, यूनान
(Winter Cough) राजयच्मा और जीर्ण
कास में सेब्य है । कभी २ इसे वाइल्ड चेरी के इत्यादि ।
शर्बत के साथ मिलाकर वा उसमें कोडील मिलाविलेयता-एक भाग कतरान १० भाग सुरासार १०% में और किसी प्रकार रोशन
कर देते हैं।
मात्रा-२॥ डाम या १० घन शतांशमीटर। जैतून तथा रोशन तारपीन में विलीन हो जाता है।
(२ ) अंग्वेण्टम् पाइसिस पाइनाईरासायनिक संघटन-इसकी रासायनिक
(Unguentum Picis Pini, U.S.
P.)-ले० । टार प्राइण्टमेंट ( Tar Ointवनाबट बहुत पेचीदा है । इसमें (१) क्रियोजूट वा क्रेसोल, (२) फेनोल, (३) ऑइल ऑफ
ment)-अं०। कुत्रानानुलेपन । मरहम टर्पेनटाइन, (४) एसीटिक एसिड, (५) पाइरो
कुत्रान।
निर्माण-विधि-टार ५०, पीत मधूच्छिष्ट १५, कैटेकोल, (६) टोलुएम, (७) जाइलोल, ()
पेट्रोलेटम् ३५ भाग । मोम को पिघलाकर उसमें एसीटोन, () मीथिलिक एसिड (१०)
टार को मिश्रीभूत करें। खायकोल और (११) रेज़िन अर्थात् राल ये
नोट-यह कृष्णवर्ण की अधिक ठोस मरहम घटक होते हैं।
प्रस्तुत होती है। परन्तु तदपेक्षा अंग्वेण्टम् पाइमात्रा-२ से १० ग्रेन वा ०.१२ से ०.६
सिस मॉली (बी० पी० सी०) अधिक मृदु ग्राम । अथवा ५ से १० मिनिम (=.३ से .६
होती है। घन शतांशमीटर में डालकर प्रयोग
(३) एका पाइसिस-(Aqua Picis) करें। .
-ले० । टार वॉटर (Tar water) भोंडी नोट-इसकी मात्रा क्रमशः उत्तरोत्तर बढ़ाकर |
गोंडरून ( Eau de Gondron )-अं. २० से ६० मिनिम तक दे सकते हैं।
अर्क कतरान। टार की चाशनी किंचित् भिन्न होती है। अत- ___ योग निर्माण विधि-टार १० भाग, परिएव इसकी वटी निर्माण करने में बड़ी दिक्कत होती
श्रुत वारि १०० भाग, दोनों को मिलाकर फिल्टर है। इसमें इतना अनुपान द्रव्ययोजित करना कर लेवें। पड़ता है कि ५ ग्रेन की वटी में अत्यल्प टार रह . मात्रा-८ बाउंस प्रतिदिन । अल्सरी और जाती है । चूर्णाकृत मधुयष्टिका मूल वा अंडज (क्षत व्रणादि) प्रक्षालनार्थ भी इसका लाइकोपोडियम् से एतद्वटी निर्माण की प्राज्ञा उपयोग करते हैं। पाई जाती है, किंतु उनसे उत्तम वटिकायें प्रस्तुत (४) कैप्शूल्ज़ ऑफ टार-(Capsu. नहीं होती हैं। टार, कर्डसोप, लिक्रिस रूट les of Tar) प्रत्येक कैप्शूल में ५ बूंद (मुलेठी) चूर्ण और गम अकेशिया (बबूल का
टार पड़ती है। गोंद) चूर्ण इन चारों को बराबर-बराबर मिलाने (५) ऑइल ऑफ टार-( Oil of से इसकी उत्तम वटिकायें प्रस्तुस्त होती हैं। | Tar ) रोगन कत्रान एक प्रकार का सूक्ष्म तेल