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.."कटिङ्ग
... निबिड़, समकण विशिष्ट एवं ईषत् कठोर होता कंटाली-संज्ञा स्त्री० [हि० काँट] भटकटया । .: है। प्रदर्शन से तिमिरावृत जान पड़ता, सन्यक् केटास-संज्ञा पुं० [हिं० काटना ] एक प्रकार का
परिणत पड़ता और सूक्ष्म परिकार को पहुँचता बनपिलाव । कटार । खीखर ।। .: दारूकर्म में यह अधिक व्यवहृत होता है । कटहल कटाह-संज्ञा पु० [सं० पु] (१) कछुए का खोपड़ा . के काष्ठ को मंजूपा और सजा बनती है। काक्षा- कूर्म-कर्पर । ने. हनिक । (२) भैंस का पड़वा
न्तर कार्य और मार्जनी-पृष्ठ के लिए इसे यूरोप जिसके सी निकल रहे हों । हारा० । (३) कड़ाह भेजते हैं ।
बड़ी कड़ाही । तैजपाकपात्र | श. च. । (४) (f०वि० कोष ३य खरड पृ० ६३५)
सूप । त्रिका०, (५) कबूर। कचूर । (६) सूर्य । कटा-संज्ञा स्त्री० [सं. स्त्री.] कुटकी ।
(७) कूप । कूत्रां। कटाइ-संज्ञा स्त्री० [सं. कंटको] (१) भटकटैया। कटाहक-संज्ञा पु० [सं० पु] (१) कड़ाह । भाजन
कैटरी । कटाई । (२) बनभंटा । वरहंदा । बहती पात्र । (२) मातुलुग वा बिजौरे के कोथे वा - संज्ञा स्त्री [बं०] स्वादु-करटक । बिलङ्गरा। फाँक । अत्रि० सू० १७०। इं०० प्लां।
कटाह्वय-संज्ञा पुं॰ [सं० वी० ] पद्मकंद । पद्ममूल । कटा कण्ठल-संज्ञा पु, मृगभक्षी।
भसीं । कमल की जड़ । रा०नि०व० १० । कटाकीफल-संज्ञा पु०सं समष्ठोल। कोकुत्रा।
कटाक्ष-संज्ञा पु०सं०पु.] (१) तिरछी चितवन । कंटकप.ल।
तिरछी नज़र । श्रांग:। अम०। (२) घोड़े कटाकु-संज्ञा पु० [सं० पु.] एक प्रकारकी चिड़िया | ... की कनपुटी और कना के बीच का भाग । ज. उणा।
द० २ ०।
कटि-संज्ञा स्त्री०सं० पु०, स्त्री.] शरीर का मध्य अटाग्नि-संज्ञा स्त्री० [सं० पु] घास फूस की प्राग।
भाग जो पेट और पीठ के नीचे पड़ता है। कमर । दृणाग्नि । (मनु ८। २७७)
लक । संस्कृत पय्याय--,णिः, श्रोणितलं, कटायण, कटायन-सज्ञा पु० [सं० की.] वोरण ।
कटी (अ० टी०), धोणिफलकं, धोणी, ककुद्मती, खस | श० च । कटार-सज्ञा पु० [सं० कटार] एक प्रकार का बन
कटः (अम०), फलत्रं, कटीरं, काञ्चीपदं (हे.), . बिलाव । कटास । खीखा।
करभः (ज) शोणिफल, कटी, छोणि, कलत्र ।
अरबी पर्या-कतन, सुज्ब । लाइन (अं.)। . संता पु० [देश॰] एक प्रकार का कोटेदार पेड़ जि.सका पल खाया जाता है । (२) गेठी । गृष्टी ।
(२) हाथी का गंडस्थल । हाथी की कनपटी । गाँठ बालू।
(३) पीपल । पिप्पली, ( ४ ) काञ्ची ।
घुघची। कटारा-संज्ञा पुं० [हिं० कटार] इमली का फल । | कटिकशेरुका-संज्ञा स्त्री० [सं०] रीढ़ की वह हड्डी सहा पुं० [हिं० काँटा] ऊँटकटारा।
___जो कमर में स्थित है। (Lumber vereकटा(ता)रे-संज्ञा पुं० [सं० कांतार] एक प्रकार की | ..
| era) प्र. शा०। ईख | केतारा । कांतारेतु।
कटिका-संज्ञा स्त्री० [ सं . स्त्री.] खरिका । खड़ियाऋटाल-सज्ञा [सं० १] कटला नाम की मछली। मिट्टी। .(Catla-catla-Ham&Buch)एक प्रकार | कटिकामता-[को०] चिनचिनी।
की मछली जो भारतवर्ष विशेषतः बंगाल के कटिकुष्ट-संज्ञा पु. [संक्री.] घोणि का कुष्ठ । पोखरों नदियों में प्रायः पाई जाती है । इसका रोग । कमर का कोढ़। मांस मधुर, उत्तेजक, गुरुपाकी और त्रिदोषघ्न | कटिकूप-संज्ञा पुं० [सं० वी०] ककुन्दर । चूतड़
का गड़हा । सुब। कटाल-मरेली-सिंथाल] विलङ्गरा।
| कटिङ्ग-संज्ञा पु. [अं॰ Cutting ] एलोपैथी ई० मे० रूपा । ... . . . में औषधि निर्माण प्रक्रिया, में वह क्रिया जिसक
होता है।
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