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एक
मैं मधुर और ज्वरवाले रोगी को क्षतक्षय, अर्श, पाण्डु, अरोचक से कास - श्वास रोगी को एए-मांस होता है । त्रि० ।
एणक—संज्ञा पु ं० [सं० पु ] ( १ ) हिरन । हरिण
श० ० । (२) काला हिरन ।
कस्तूरी मृग ।
कृष्णसार । करसायन ।
एका -संज्ञा स्त्री० [सं० स्त्री० ]
हिरन । हिरनी ।
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हितकारी है । पीड़ित और सुखकारी
मृगी ।
मादां
एणाजिन-संज्ञा पुं० [सं० क्ली० ] मृगचर्म । मृग
मृगी । मादा
छाला । हिरन का चमड़ा । एणी - संज्ञा स्त्री० [सं० स्त्री० हिरनी । एणीदाह-संज्ञा पु ं० [सं० पु ं०
[ एक प्रकार का
सन्निपात ज्वर । भा० पू० १ भ० । एणीपद - संज्ञा पुं० [सं० चित्तीदार साँप । सु० दे० "साँप” । एग्रीपदी - संज्ञा स्त्री० [सं० स्त्री० ] मकड़ी वा लूता का एक भेद । इसके काटने से मृत्यु होती है । इसका काटा रोगी असाध्य होता है । सु० कल्प ० ८० दे० " मकड़ी” ।
पु० ] मण्डली सर्प । कल्प०
४ श्र० 1
एण्टरिक - [ श्रं० Enteric ] दे० " टायफायड " । एण्डु - द्राक्ष - पण्डु - [ ते० ] किशमिश । मुनक्का । दे० " अर" |
एड्राकनी कॉर्डिफोलिया – [ ले० Andrachne cordifolia, Mil.] कुरकनी । गुगुली । ( पं० ) ।
ए - [ मल० ] [ बहु० एरण कल ] तैल । तेल । एरणेय - [ ता० ][ बहु० एण्यगल ] तैल ।
तेल ।
श्वास | हे० च० ।
एतश—संज्ञा पु ं० [सं० पु० ] ( १ ) घोड़ा
(२) ब्राह्मण । एता - संज्ञा स्त्री० [सं० स्त्री० ] (१) मृगी ।
एनलजन
हरिणी । मादा हिरन । वै० निघ० । (२) खजूर
1
का पेड़ ।
एतोक - [ लेप०, हज़ा० ] छान | मे० मो० । एतोलीस - [ यू०] एक प्रकार की प्रसिद्ध बूटी | एत्थुः - [ कना० ] गो । गाय । बैल | एथिडीन - [ श्रं० Ethidene ] एथीडीन बाई
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मात्रा - ६ मा० से १ तो० १॥ मा० तक । ( ख़० अ० )
एधतु-संज्ञा पु ं० [सं० पु ] पुरुष । श्रादमी | एधिता - वि० [सं० क्रि० ] वर्धमान । बढ़नेवाला । एत - वि० [सं० त्रि० ] [स्त्री० एती ] कर्वर वर्ण । एन - [ श्रु बहु० ] [ ए० व० ऐ नाय् ] वे स्त्रियाँ जिनकी चितकबरा रंग |
सुन्दर हों।
एतन - संज्ञा पुं' [सं० पु० ] निश्वास ! वर्हिमुख
एनलगेसिक - [ श्रं Analgesic ] दे० "अङ्गमई
प्रशमन" ।
क्लोराइड |
एद
- [ श्र० ] दम्मुल अवैन । दे० "ऐदश्रु” । एदमामीद - [ सुर० ] एदमामी - []
विवरण - "बहरुल्जवाहर " के अनुसार एक प्रकार का वृक्ष जिसकी डालियों पर ऊन की भाँति एक चीज़ होती है। बुर्हानमें कहा है कि यह एक वृक्ष है, जो बाहर से देखने में ऊन की तरह होता है । मख़्ज़न के अनुसार इसका रंग हरियाली लिए होता है । इसमें शाखाएँ बहुत होती हैं और यह अन्य जंगली वृक्षों पर पैदा होता है। तनकाबन में यह "वाख़ज" कहलाता है ।
टिप्पणी- बुर्हानक़ाति और बहरुल्जवाहर में इसे "एदमामीद" लिखा है । बुर्हान के अनुसार यह सिरियानी भाषा का शब्द है । प्रकृति - शीतल एवं रूत ।
गुण-धर्म-प्रयोग — यह ग्राही और अतिसार नाशक है । इसको जलाकर या बिना जलाये हुये ही क्षत स्थान पर छिड़कने से यह रक्तस्राव को बंद करता है। इसकी जलाई हुई राख फोड़ों पर लगाने से अत्यन्त लाभ होता है ।
एनलजन-संज्ञा पुं० [० Analgen] एक सफ़ेद स्फटिकी निर्गन्ध तथा स्वादरहित चूर्ण जो रासायनिक संघटन तथा गुणधर्म में फेनेसेटीन के तुल्य