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प्रोफेलिया
१८३६
श्रोलची
प्रोफेलिया -[ o ophelia ] दे० "फेलिया" । फलूस - [ श्र० ] श्राँख के नासूर की वह प्रारम्भिक अवस्था, जबकि वह विदीर्ण न हुआ हो । ग़ । फिस्चुला-लैक्रिमेलिस (Fistula-lachri malis ) - श्रं॰ ।
श्रोराइजा - सेटाइवा - [ ले० oryza-sativa Linn.] ( l'addy ) धान | ओरॉक्सिलम्-इण्डिकम् - [ ले० oroxylum-indicum, Vent. ] अरलु । सोनापाठा । श्योनाक |
ओबि (पि)यानुस -[ यू०] एक प्रकार का बाबूना । ओरिगैनम् -[ अं० origanum ] दे० "आर
गैनम्” ।
सोभल ।
रित्तामरै - [ ता० ] रतनपुषं । रतनपुरुष - दे० ।
बुल - [पं०] जंगली पालक । बनपालक-बं० । श्रमत्तीनीर- [ ता० ] ओमद्रावकम् [ते०
श्रक अजवायन |
श्रमती - [ ते० ] अजवायन ।
श्रममु - [ ते० ] अजवाइन । श्रममुकु [ते० ] ( 1 ) अजवायन का पता । ( २ ) पंजीरी का पात | सीता की पंजीरी । अज
वायन का पत्ता-द० ।
मम् - [ ता०, सिं०] अजवाइन | श्रमम् -साट -[ oomam-plant ] अजवाइन का पौधा । श्रमम् वाटर- [
० omam-water ] श्रर्क
अजवाइन ।
मलोटी - [ बं०] श्रमरूल | चांगेरी । श्रभ्लौटी । ओमाज - [ तु० ] अम्लतारहित सोय्यान । इसको शबवा भी कहते हैं ।
श्रमारीक़ा -[ यू० . ] अनीसून । माली - [यू . ] शहद से बनी हो |
रेड - [ नेपा• ] रेंड | एरण्ड वृक्ष । ओरोर (ल) -[ बं०] अरहर । श्राढ़की | - [ बं० ] सुन्दरिङ्गन — उड़ि । ओ-संज्ञा पु देश ] एक प्रकार का बहुत लम्बा वाँस जो आसाम और ब्रह्मा में होता है । इसकी ऊँचाई १२० फुट तक की होती है और घेरा २५-३० इञ्च ।
वह शराब जो केवल पानी और श्रोल -संज्ञा पुं० [सं० पु० ] सूरन । जिमीकन्द । श्रोल गाछ - बं० । २० मा० | भा० पू० १ भ० । गुण- श्रग्निकर, कफनाशक, रुचिकारक, हलका और अर्श में पथ्य है । ग्राम्यकन्द दोषकारक होता है । रा० नि० । दे० " सूरन" ।
वि० [सं० क्रि० ] श्राद्र । गीला । श्रदी | मे० लद्विक ।
मासियाना - [?] ज़रदालू । मिशमिश । श्रम् - [ कना० ] अजवाइन ।
श्रम्बा - मरा० ] श्रज्ञात ।
श्रोम्लु -[ लाहौ० ] बीस । शलकट- पं० । (Myric
ओरूजा– }[ यू० ] चाबल ।
ष - [ का० ] जिगन । जिंगनी । रूजा - [ यू० ] चावल । श्ररूस - [ फ्रा० ] श्रभल | हाऊबेर । ओरेकी -[ श्रं० oracle, garden] सरमक |
ara germanica, Dese.)।
- [ बं०] बम्बूसा ब्राण्डेसियाई-ले २ ।
क्रतान | मलुव ।
ओ(ऑ)रेञ्ज -[ श्रं० orange ][ अ० नारअ ] नारंग | नागरंग |
ओल - [ बिहार ] दे० " श्रोल" ।
[ श्रंo ore] [सं० श्रायस धातु ] कच्ची ओलः - [ ? ] जलीद - ( अ ० ) । तग्रगुज़ा. लः (फ्रा० ) ।
धातु । उपधातु । रंगोटंग-संज्ञा पुं० [ मला० श्रीरंग = मनुष्य +ऊटन = ] सुमात्रा और बोरनियो श्रादि द्वीपों में रहनेवाला एक प्रकार का बंदर वा बनमानुष । यह चार फुट ऊँचा होता है ।
गड्ड-पं० । आल (ल्ल) कन्द - संज्ञा पु ं० [सं० पु० ] ( १ ) सूरन । जिमीकन्द । २० मा० । ( २ ) जंगली सूरन । वनौल । पानीय भक्रवटी ।
ओरहा - संज्ञा पुं० दे० " होरहा " ।
ओलची संज्ञा स्त्री० [सं० श्रालु ] आलूबालू नामक वृक्ष का फल | गिलास । इं० मे० प्रा० ।