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। वाला।
मरमरी छेदक यंत्र
अश्मरी शर्करा चूर करने वाजी औषध । परमरी भेदक । | अश्मरी भेदः ashmari-bbedah-सं० पु. (Lithotriptic ) देखो-अश्मरीहर। पाषाणभेद वृत्र,पाथरधुर। (Coleus aroma.
वि० अश्मरीको फोड़ने वाला, अश्मरी भेदक। ticus.) मद०व०१। अश्मरी छेदक यंत्र ashmari-chhedaka-| अश्मरी भेदक: ash mari-bhedakah-सं०
yantra-हिं. संज्ञा पु वस्ति में पथरी को पु (1) पाषाण भेद । केय० दे०नि० । सं. फोड़ने का यंत्र । अश्मरी भेदक यंत्र । लिथोट्रि- (हिं. सशा)पु. (२) देखो-अश्मरी छेदक । प्टर Lithotriptor, लिथोट्राइट Litho- अश्मरी मेदन ashmari-bhedanatrite-इं। पाक्रितुल् .इसात, मित्तितुल् अश्मरी भेदनः ashmari-bhedanah सात-१० . .
सं० हि संका अश्मरी द्रावक ashnari-dravak-हिं० संचा: (१) परमरी भेदन क्रिया, पयरी तोड़ने का कर्म ।
पु. पधरी को विलीन करने वाली वा . . ( Lithotrity) तफ्तीतुन हसात्-१०। घुलाने अर्थात् द्रव करने वाली औषध । पा (२) किसी भौषध वा यंत्र द्वारा यस्ति में हो
औषध जो भरमग को बुलाकर पानी कर दे। भश्मरी को फोड़कर टुकड़े टुकड़े करना । (३) . परमरी विलायक । ( Lithodialytic ) - पाषाण भेद । ( Coleus aromaticus.) मुश्लिलुल् इसात-१०। देखो-अश्मरीहर। ये० निघ०। -वि० अरमरी को घुलाने वा द्रव करने | अश्मरी रिपुः ashmasi-ripuh-सं० पु' (1)
. (१) वृहपणक, बड़ा घणा | रत्ना०।२) त्रेवु
-सं० । मकाई, भुवा, बड़ा ज्वार-हिं . । अनार अश्मरी द्रावण aghmari-drāvana-हिं०
-ब० । Maize ( Zea mays.) संज्ञा पु० वस्तिस्थ पथरी को विलीन करना, पथरीको घुलाना | लिथोरायालिसिस Lithor
अश्मरी विदारण ashmari vidarana-हिं० dialysis-ई। तह लोलुन् इसात, तज दीबुल
- संज्ञा पुं० शस्त्रकर्म द्वारा पथरी का निकालना । इसात-०।
(Lithotomy).
अश्मरो शर्करा ashmari-sharkari-सं० नोट-लिथोडायालिसिस के दो अर्थ होते
स्त्री० तमामक रोग विशेष । (Renal sand, है-(B) विनायक औषधों के द्वारा वस्ति में Urinary sand,urinally deposits.) पथरी का विलीन करना जिसके लिए उपयुक रमन कुख्यह, रम्ल औली, रसौन बौली-५०। हिंदी एवं अरबी शब्द प्रयुक्र हुए हैं और (२) रेगे गुर्द वा बौल-फा०। किसी यंत्र के द्वारा वस्ति में, ही अश्मरी का छेदन
. : शर्करा (रेता) और मिकता प्रमेह तथा भस्मात्य करना। इसके लिए अर्वाचीन आयुर्वेदीय चिकित्सक
रोग (मूत्र, शुक्र रोग उत्सर तन्त्रोक) ये सब "अश्मरी भेदन" एवं मिश्र देशीय चिकित्सक |
पथरी ही के विकार है और पथरी ही घुल कर "तफ्तीतुल् हसात" शब्द का प्रयोग करते
शर्करा होती है। क्योंकि इनके बपण और वेदना
समान है। (यूनानी एकीम भी पथरी और शर्करा अश्मरी प्रिय: ashmari-priya.h-सं० प्र० को एक ही किस्म से बताते हैं। देखो तिम्छे
महा शानिधान्य । प० मु०। (See-mahi- अकबर) sbálih. ) ..
यदि पथरी छोटी हो और वायु के भनुअश्मरी निर्माण ashmari-nirmana-हिं०
कूल हो जाए तब तो प्रायः निकल पड़ती है। संशा पु० पथरी बनना । ( Lithiasis) और जो वायु द्वारा टुकड़े टुकरे ( नन्हें नन्हें तखम्वुनुन् हसात-१०।
वाने से ) हो जाएं तो उन्हें शर्करा कहते हैं।
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