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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org अवसेचनम् चनम् avasechanam सं० क्लो० अवसेचन avasechana - हिं० संज्ञा पुं० (१) जलसेचन | सींचना | पानी देना | सु० 1 (२) पसीजना | पसीना निकलना । ( ३ ) यह क्रिया जिसके द्वारा रोगी के शरीर से पसीना निकाला जाए । ( ४ ) आँक, सींगी, तूं बी या क्रस्ट देकर रक निकालना | ७३८ अवस्कन्दः avaskandal सं०पु० श्रवगाहन स्नान, मज्जनपूर्वक स्नान करना, डुबकी लगाना | (Bathing, Ablution.) श्रवस्कयनी avaskayani-सं० स्त्री० बहुदिनानन्तर प्रसूता गाय, अधिक समय में वा बड़ी उम्र की ब्याई गाय । अवस्करः avaskarah सं० पु० श्रवस्कर avaskara - हिंοसंज्ञा पुं० ( १ ) विष्ठा, मल, बिट् ( Excrement, Foæces. )। ( २ ) गुह्य देश | ( Privyparts, Pudendum ) मे० रचतुष्क | (३) सम्मार्जनादि - निक्षिप्त धूल्यादि, श्रावर्जना, झाड़ना फूँकना । ( ४ ) मलमूत्र | अवस्करक: avaskarakah - सं० पु० सम्मा. नी, मनी, भाइ श्रवस्त्र avaskavm सं०० वचाके भीतर घुस जाने वाले आदि के कीड़े । अथर्व० । सू० ३१ । ५ । का० २ | अवस्था avasthaहिं० संज्ञा स्त्री० [सं० ] (१) दशा | हालत (state, condition.) । ( २ ) समय F काल 1 ( ३ ) आयु । उम्र 1 ( ४ ) स्थिति ! (+) वेदांत दर्शन के अनुसार मनुष्य की चार श्रवस्थाएँ होती हैं- जागृत, स्वश, सुषुप्ति और तुरीय । ( ६ ) स्मृति के अनुसार मनुष्य जीवन की श्रावस्थाएँ हैं-- कौमार, पौगंड, कैशोर, यौवन, बाल, तरुण, वृद्ध और वर्गीयान् । ( ७ ) कामशास्त्रानुसार १० श्रवस्थाएं हैं- श्रभिलाषा, चिन्ता, स्मृति, गुणकथन, उद्वेग, संलाप, उन्माद, व्याधि, जड़त और मरण । ( ८ ) निरुक्त के Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ::fi: अनुसार छः प्रकार की अवस्थाएँ - जन्म, स्थिति, वर्धन, विपरिणमन, अपक्षय और नाश । ( 2 ) सांख्य के अनुसार पदार्थों की तीन अवस्थाएँ है—श्रनागतावस्था, व्यक्राभिव्यक्कावस्था और तिरोभाव । एक अवस्थांतर avasthantara-हिं० संज्ञा पुं० [ सं० ] ( Change of stato ) अवस्था से दूसरी अवस्था को पहुँचना | हालत का बदलना | दशापरिवर्तन | अवस्थान avasthána - हिं० संज्ञा पुं० [सं०] ( १ ) स्थिति । सत्ता । ( २ ) स्थान | जगह । वास । अवस्थापन'avasthapana-हिं० संज्ञा पु० [सं०] निवेशन | रखना | स्थापन करना | अवस्थात्रय avasthatrya - हिं० पु० वेदांत दर्शन के अनुसार जागृत, स्वप्न और सुषुप्ति ये तीन श्रवस्थाएँ हैं । अवस्था विचार vastha-vichára-सं० पुं० दशा विचार, अवस्था का निश्चय करना । अवस्थंदन avasyandana-हिं० संज्ञा पुं० : सं० ] टपकना | चूना । गिरना । श्रवह avaha - हिं० संज्ञा पु ं० [सं०] (1) वह वायु जो श्राकाश के तृतीय स्कंध पर है । ईथर (Åther) | ( २ ) वह दिशा जिसमें नदी नाले नहीं | अवहस्तः avahastah सं० पु० श्रवहस्त avahasta - हिं० संज्ञा पु० हस्त पृष्ठ, हाथ या गली का पिछला ( पृष्ठ ) भाग, उलटा हाथ ( Back of hand ) । हे० च। अवहारः,-क avahárah, kahto पु ं० अबहार,-क: avahára, kh--हिं०संज्ञा पुं० ( १ ) ग्राहाख्य जल तन्तु, मगर । ( Alliga tor ) मे० रचतुम्क । ( २ ) जलहस्ति । सूँ स । अहालिका avabaliká सं० त्रां० प्राचीर, बाहरका कोट, प्राकार, चार दीवारी । ( A wall, > For Private and Personal Use Only
SR No.020060
Book TitleAayurvediya Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
PublisherVishveshvar Dayaluji Vaidyaraj
Publication Year1934
Total Pages895
LanguageGujarati
ClassificationDictionary
File Size27 MB
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