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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अवसादक ... होम को शमन करते हैं अर्थात् उस पर! .. (घ) सांवेदनिक वाततन्तुभों को शिथिल शामक प्रभाव करते हैं जैसे हाइडोस्यानिक | वा निर्बल करनेवाली औषधैं । ये स्वासोच्छवासएसिह डाइल्यूट , कोनायम (श करान ) और | केन्द्र अवसादक औषध है । अस्तु बहुँ। देखो - क्लोरोफार्म प्रभति । (ड)अवसादकोय श्लेष्मानिस्सारक-देखो. (ख) नासावसादक-यथा स्थान देखो । श्लेष्मानिस्सारक। . (ग) सरल श्वासोच्छवास केन्द्र अवसादक- . श्वासोछवासावसादक औषधे वह औषधजो श्वासोच्छवास केन्द्र को स्पष्टतया | प्रालियम् टेरीबिन्धीनी ( तारपीन का तेत), शिथिल करती हैं। यथा ईथर एसीटिक्स, ईथिल प्रायोडाइडम्, एका लारो. . ओपियम् ( अहिकेन..., काहान (अहि फेन । सेरेसाई, एमाइल नाइट्स, ऐरिमोनियम् टार्टरेटम्, का एक सस्व ), कोनाइम ( शुकरान ): बेलाडोना, पेरोनीन, टिकराभी-गणिनीएनी, , एकोनाइट ( वत्सनाभ), वैरेट्रीन, गैलसीमीन, जेल सीमियम्, डायोनीन,स्टेमोनियम् (चुस्तुर, सेपोनीन, फाइसाष्टिम्मीन (जौहर लोबिया सिरूपस भूनी वर्जिनिएनी, क्रोरस, कोरोफॉर्मम्, कालाबार ), बर्जिनियन पून, हिरोइन, कोडाइन ( कोडीन), कोडीगी सैक्षीसिलेट, .. हाइडोस्यानिक एसिड डायल्यूट, क्लोरल, ऐण्टि- कोहीनी फॉस्फॉस, कोढीनो हाइड्रोकोशहदम्, मनी साल्ट्स (अञ्जन के लवण ), एलको- कोनायम् (शूकरान), कोनाईन (शूकरानसार), हल ( मद्यसार )*, ईथर, क्लोरोफार्म, कोनाइनी हाइड्रोलोमाइसम्, कोनाइनी हाइड्रोको. क्वोनीन*, केफीन6, इपीकेक्वाना* | राइडम्, लोथेलिया (अरण्य साम्रकूट ), लैक्ट्युइनमें से अंतिम की सात औषधं जिनपर यह केरियम् ( अफ्रीम काहू), मॉर्फीन और उसके चिह्न (*) लगा है, श्वासोच्छवास केन्द्र को लवण, हायोसायमस (अजवाइन खुरासानी), शिथिल करने से पूर्व उसे अांशिक उरोजना हीरोईन, होरोईन हाइड्रोक्लोराइड, कूल, कचूर, प्रदान करती हैं। श्रामला, भू ई श्रामन्ना, कर्कटशृङ्गो, कंटकारी, फाइसाष्टिग्मीनका अत्यन्त प्रबल प्रभाव होता है वृहती, हरीतकी, बहेड़ा, उसाच । अर्थात् यह श्वासोछवास केन्द्रको अत्यंत शिथिल (८)यकृत् अवसादक-(Hepatic deकर देता है। किंतु इस अभिप्राय हेतु इसका pressants)-मुजइफ़ कबिद-अ० । देखोकदापि प्रयोग नहीं होता । श्रोपियम्, कोडाइन, पित्तस्राव अवरोधक। हाइडोस्यानिक एसिड डायल्यूट और वर्जिनियन (E) संवर्तनशक्त वसादक-(Meta. प्रन इस हेतु विशेष रूप से प्रयुक्त होते हैं। boiic depressants)-मुजइफ्रात कुवत उपयोग-फुप्फुस, प्रामाशय, यकृत, मुराइरह- अ. । वे औषध जो संवर्तन क्रिया को प्लीहा, फुप्फुसावरककला, वायुप्रणाली एवं प्रणालिकाओं, स्वरयंत्र, नासिका, क: और मंद करती हैं । ऐसी औषधे या तो शीघ्र प्राक्सि. डाइज ( उम्मिद ) हो जाती हैं या ऑक्सीहीमो. अन्नमार्ग के क्षोभ के कारण परावर्तित रूप से उत्पन्न हुई कास में ऐसी औषधे उपयोग में ग्लोबीन को एक ऐसा मजबूत यौगिक बना देती है जिसमें वह अपने प्रोपजन वायग्य को पृथक् पाती हैं । इस प्रकार की कास प्रायः शुष्क हुश्रा करती है अर्थात् इसमें अत्यल्प श्लेष्मवाद । नहीं कर सकता । ये निम्न है-- हुश्रा करता है। कीनीन, फेनेजून, एसिट एनीलाइड, सेलीसीन' परावर्तित-गति जम्घ कास-चिकित्सा में इन | ग्लीसरीन, रीसेंसन इत्यादि । - भौषधोंके उपयोग से पूर्व रोग के मूल कारण का (१०) आमाशयावसादक-(Gastric. • 'पसा लगा उसके निवारण का यत्न करना sedatives-) मुसकिनात मिन दह-१० । देखो-प्रामाण्य प्रवलादक। For Private and Personal Use Only
SR No.020060
Book TitleAayurvediya Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
PublisherVishveshvar Dayaluji Vaidyaraj
Publication Year1934
Total Pages895
LanguageGujarati
ClassificationDictionary
File Size27 MB
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