SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 640
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra शरारोबा www.kobatirth.org ५६८ ppositorium Chrysarobini) -ले० । क्राइसारोबीन वर्त्तिका - 0ि1 शियाफ़ क्राइसारोबीन । निर्माण-विधि - काईलारोबीन 14 ग्रेन ५ योडोफॉर्म ग्रेन, बिलाडोना एक्सट्रैक्ट १० प्रेन, ग्लीसरीन घावश्यकतानुसार जिससे कि उचित वर्ति प्रस्तुत हो जाए और काका उबटर ३० ग्रेन पर्यन्त । の उपयोग- इस वर्ति के प्रयोग से घरों में बहुत लाभ होता है। (एक्सट्रा फार्माकोपिया ) (२) एन्थाबीन (Authrarobin ) इसका प्रलेप रूप से क्राइसारोबीन के स्थान में प्रयोग करते हैं । (६) लेनीरोबीन ( Lenirobin ) - यह भी का इसारोबीन का एक यौगिक है जिसको पुरातन नार फ्रास या उचलनदार विस्फोटक ( Chronic Eczema ) और पुरातन (विचिका) पर लगाते हैं । (७) यूरोबीन ( Eurobin ) - यह एक धूसर वर्ण का चूर्ण है जिसको क्राइसारोबीन के स्थान में बर्तते है । उपयोग - इसका २ या ३ प्रतिशत का घोल चम्बल ( Psoriasis ) और बहु ( Ringworm ) के लिए लाभदायक है। इससे न तो त्वचा पर ख़राश ( सोभ ) होती है और न कपड़े पर चिह्न पड़ते हैं। काईसाबीन की फार्माकोलॉजी अर्थात् औषधीय प्रभाव बहिः प्रभाव - वचा पर काईसाबीन का सशन लोभक (Powerful irritant ) प्रभाव होता है । अस्तु, इसके प्रयोग से खचा पर ददोदे निकन्त श्राते हैं, मुख्यतः स्वस्थ त्वचा पर क्योंकि विकारी त्वचा पर इससे उतना लोभ नहीं उत्पन्न होता । वानस्पत्य जीवाणु विषयक aria को उक्त औषध नष्ट करती है। प्रस्तु, यह पराश्रवी कीटन भी है। इसका स्थानिक वा सर्वाङ्गिक दोनों प्रभाव होता है । यह त्वचा द्वारा शोषित होजाता है और इससे त्वचा पर Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अरोवा पीताभायुक्र धूसरवर्स के चिह्न पड़ जाते हैं । व पर भी इससे उसी प्रकार के चिह्न पड़ जाते हैं । अन्तः प्रभाव - अति न्यून मात्रा ( ग्रेन ) में देने से भी यह श्रामाशय वा श्रन्ध्र को अत्यन्त सुमित करता है; जिससे हुधा कम हो जाती है, वमन श्राते हैं और पेट में ऐंठन होकर मनाते हैं अर्थात् प्रवाहिका के से लक्षण उपस्थित होते हैं । श्रस्तु उक्न, श्रौषध सशक आमाशय वा श्रान्त्र क्षोभक ( Powerful gastrointestinal irritant ) है । विसर्जन - यह किसी भाँति स्वचा द्वारा, किन्तु अधिकतर वृक्क द्वारा शरीर से विसर्जित होता है और इससे मूत्र का रंग पीत व नीलगूँ हो जाता है । For Private and Personal Use Only कासारोबीन के उपयोग अर्थात् थेराप्युटिक्स वहिः उपयोग – परायी कीदघ्न रूप से इसकी दबु (Ringwormn ) तथा कई अन्य पुरातन रूह रोगों जैसे चम्बल अर्थात् विचिका ( Psoriasis ), ज्वलनशील फुन्सियाँ ( Eczema ) यौवनपधिकाओं ( Acne ) पर लगाते हैं । यद्यपि यह यात प्रमाणित करना कि जीवाणु ही उन रोगों के उत्पादक कारण हैं, श्रभी शेष रह जाता है; तथापि विचर्चिका ( Psoriasis ) रोग में इसका मुख्य उपयोग होता है । श्रस्तु १ श्रउंस वैज़ेलीन को तप्त कर से या ड्राम काईसारोवीन मिलाकर ऐसा प्रलेप दिन में दो समय लगाने से उन रोग शीघ्र दूर हो जाता है। और इसी भाँति उपयोग करने से यह स्वचा द्वारा शोषित होकर विचर्चिका ( Psoriasis ) के ऐसे धब्बों को भी दूर कर देता है, कि जिनमें इसका बहिरप्रयोग नहीं किया जाता । इससे प्रायः श्रास पास की स्वस्थ स्वचा पर यथापूर्ण विसय प्रदाह होता वा बैंगनी घटने पड़ जाते हैं, जिससे किसी किसी रोग में इसका उपयोग नहीं किया जा सकता। विस्तीर्ण अनुभव
SR No.020060
Book TitleAayurvediya Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
PublisherVishveshvar Dayaluji Vaidyaraj
Publication Year1934
Total Pages895
LanguageGujarati
ClassificationDictionary
File Size27 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy