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[ 9 ] अस्तु उनके लिए हम सहृदय एवं बिज पाको के क्षमा प्रार्थी हैं और ग्राशा है कि वे हमें उनसे मूचित करने की विशेर दया करेंगे, जिसमें आगामी संस्करण एवं खंड में उन्हें मुवार दिया जाए।
____ अंत में हम पं० विश्वेश्वरदयालु जी वैद्यराज सम्पादक अनुभून योगमाला के सदैव कृतज्ञ हैं और हृदय से धन्यवाद देते हैं जिन्हो ने इस महान् कार्य में हमारे हाथ बटाने में अदम्य उत्साह एवं लोक सेवा का परिचय दिया है। यह प्राव हो ऐसे देश सेवी एवं महत्त्वाकांक्षी वोर पुरुष का काम है, जिन्हो ने लाभालाभ वा सफलता असफलता का अंत मात्र भी विचार न करते हुए निर्भय हाकर अपने को कार्य क्षेत्र में डाल दिया | अतः परम पिता परमाना से हम अापका दोर्थयु एवं सफलता प्रदान करने के लिए हृदय से प्रार्थना करते हैं।
इसके पश्चात् हम अपने गुरुवर कविकुल भूगा पूज्य पाद श्री पं० महादेव मिश्र (चुनार ) को हार्दिक धन्यवाद देते हैं जिनके अनुग्रह से ग्रह कोष सफलता प्राप्त कर सका ।
अपने स्नेही मित्र डॉक्टर मुहम्मद शमी से इस कोप के मंकलन में हमको काफी सहायता मिली है और समय समय पर उचित परामर्श देकर एवं उत्साह बन कर इस महान कार्य के पूर्ण करने में श्रापने जो मेरी सहायता को है उपके लिए हम आपके हृदय से कृतज्ञ हैं।
और भी जिन जिन ग्रंथ एवं लेखा' से तथा और भी किसी से किसी प्रकार की हमको कुछमी सहायता मिली हो, उसके लिए हम उन उनके लेखक महोदयों के हृदय से कृतज्ञ हैं। आयुर्वेदीयानुसंधान-भवन रोयपुरी, चुनार ) ( बाबूरामजीतसिंहजी वैद्य, माघ शुक्र वसन्तपञ्चमी सम्बत् १६६० वि० । बाबूदलजीतसिंहजी वैद्य
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