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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir www.kobatirth.org भजनम् १७७ प्रसनम् और भी कहा है:सौवीर जाम्बलं तुत्थं मयूरं श्रीकर तथा। दविका मेघनीलञ्च प्रअनानि भवन्ति षट् ॥ (कालिका पुराण) अर्थात् सौवीर, जाम्बल, मयूरतुत्थ ( सिया भेद), श्रीकर, दम्बिका ( काजल ) और मेषमील (नीलांजन ) ये छः प्रकार के अमन कालिका पुराण के रचयिता ने लिखे हैं। इनमें : तुस्थ सथा कजल अंजनम् ( Antimony) से सर्वथा भिन्न वस्तु है । इन सब बातों से साफ । विदित होता है कि अंजन से उनका अभिप्राय उन समस्त वस्तुओं से था जो नेत्रचिकित्सा में म्यवहत होती थीं । इनके विभिन्न भेदों का पूर्ण विवेचन यथाक्रम किया जाएगा । यहाँ पर जो । कुछ वर्णन होगा वह अंजन (सुरमा) अथवा इसके यौगिकों का ही होगा । __ स्रोतोऽअन अर्थात् सुरमा सौत्रीरं, कापोताम्जनं, यामुन, मदीज, पीतसारि, वारिभव, स्रोतोनदीभवं, स्रोतोभवं, सौवीरसारं,( का-) कपोतसारं, वल्मीकशीर्षम् ।। २० मा०, सु० चि० । १७ . । वाल्मीक, जयामलं, स्रोतर्ज, सौवीरसार, ! कपोतांजन,-सं० । सुरमा, सुरमे का | पत्थर, अंजन-हि.। अंजन, अंजन का पत्थर | -२० । सुर्मा, शुर्मा, जलांजन, काल शुर्मा-बं०।। इ.स.मद, कुहल-१०। सुर्मह, संगेसुर्मह,, स्याह ! सुर्मह, सुमहे अस्फ़हानी-फा० । ऐण्टिमोनियाई सल्फ्युरेटम् ( Antimonii Sulphuretnm), एण्टिमोनियम सल्फ्युरेटम् ( Antimonium Sulphuratum)-ले० । ऐरिट. मनी सल्फाइड ( Antimony Sulphin | de), सल्फ्युरेट ऑर टर्सल्फ्युरेट ग्राफ ऐण्टिमनी ( Sulphuret or Tersulpburet of Antiimony), ग्लैक ऐ० ( Black Antimony), किर्मीज़ मिनरल (Kerm-i es mineral)-०। अंजनक-कस्लु, अंजन-: माह-ता० । अंजन रायि, नीजांजनम्, कटुक -ते. । अंजनक-का-मल० । अम्जेना -कना० । सुमों, सुमो-नु-फत्रो, कुह ल-अंजन- गु०। धर्म-खिमिश्र, सुमें-खियो, तपलकयोपर० । सुर्मा-मह०, कों० । काला-सुरमा -मह० । रासायनिक संकेत (मम्ज, गं )(Sb eS3). (ऑफिशल) काला सुरमा जो प्राकृतिक रूप में खानों से निकलता है उसे पिघला कर शुद्ध कर लेते हैं। नोट-आयुर्वेदिक शुद्धि का वर्णन आगे होगा। उद्भवस्थान : चीन, जापान, (ब्रह्मदेश ) वर्मा, थोड़ी मात्रा में मासूर में भी पाया जाता है । विजयानगरम तथा पम्जाब (झेलम आदि स्थानों से खानों से निकलता है। चीन में यह सब से अधिक मि लक्षण-किञ्चित् धूसर श्यामवर्ण का दानेदार चूर्ण होता है । यह भंगुर द्रश्य है। घलनशीलता-यह जलमें अनघुल होता है, किन्त कॉस्टिक सोडा के सोल्युशन ( दाहक सोडा घोल ) और गरम हाडोक्लोरिक एसिड (लवणाम्ल ) में घुल जाता हैं तथा उदजन वायम्य उत्पन्न करता है। परीक्षा-कोइले पर सोडियम् कार्बनित स हित दग्ध करने से श्वेत चूर्ण सा प्राप्त होता है । अजनम् धातु के कण प्राप्त नहीं होते। मात्रा-श्राधी से १ रत्ती (१ से २ ग्रेन ). मिश्रण-सोमलिका तथा अन्य गन्धिद । प्रभाव-स्वेदक, परिवर्तक और वामक । नोट-स्रोताजन जैसा कि वर्णन हुआ अम्जनम् धातु तत्व (Antiinony) तथा गंधिका (Sulphur) अधातु तस्व का एक यौगिक है । परन्तु, भारतवर्ष तथा पंजाब में जो कंधारी सुर्मा अधिकता के साथ बिकता है, यह वस्तुतः गंधक और सीसा का एक यौगिक है जिसको अंग्रेजी में गैलेना (Galena) या सल्फ्यु रेट ऑफ लेड ( Sulphuret of Lead) कहते हैं । यह कृष्ण वर्ण युक्र एक गुरु कोर पदार्थ है । यही कृष्णाजन पा काला २३ For Private and Personal Use Only
SR No.020060
Book TitleAayurvediya Kosh Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamjitsinh Vaidya, Daljitsinh Viadya
PublisherVishveshvar Dayaluji Vaidyaraj
Publication Year1934
Total Pages895
LanguageGujarati
ClassificationDictionary
File Size27 MB
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