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अजवाइ (य)न खुरासानी
अजवाद (य) न खुरासानी
हायोसीन( Hyoscine) यह हायोसाइमस का एक क्षारीय सत्व (AI | kaloid) है जो उसके द्वितीय रत्रा रहित सत्व हायोसायमीन में भी पाया जाता है। यह एक उदनशील तैलीय घ होता है जो अपने प्रभाव में हायोसायमीन से पाँच गुणा अधिक प्रभावशाली होता है । यह स्वयं औषध रूप से व्यवहार में नहीं आता । इसके हाइड्रोलोरेट, हाइडियोडेट तथा हाइड्रोनोमेट आदि लवणों में से अंतिम का लवण ही अधिक उपयोग में आता है ।
हायोसीनी हाइड्रोमोमाइडम् ( Iyoscine hydro bromidum)-ले। हायोसीन हाइको प्रोमाइड ( hyoscine hyarobromide ', स्कोपोलेमीन हाइड्रोत्रोमाइड ( Scopolamine Hydrobromide),
हाइड्रोयोमैट प्रॉफ हायोसीन ( hydrobr. Omate of hyoscine )-३० । पारसीक यमानी सत्व-हि । जौहर बञ्ज, जौहर सीकरान -ति।
रासायनिक संकेत (CFHINOS Hr,y 1130)
ऑफिशल (official ). उत्पत्ति-यह हायोसाइमस (पारसीक यमानी )के पत्तों तथा विविध भाँति के स्कोपोला के वृक्षों एवं सोलेनेसीई पौधों में पाए जाने वाले एक एलकलाइ (बारीय सत्व) का हाइडोप्रोमाइड है।
लक्षण-इसके घण रहित रवे होते हैं जो घायु में स्थिर तथा स्वाद में तिक्र और जल में अस्य लयशील होते हैं। एक भाग यह, ४ भाग जल में घुल जाता है।
प्रभाव-निद्राजनक ( hypnotic). मात्रा-'से- ग्रेन( ३ से.६ मि. ग्राम) मुख या स्वगस्थ अन्तःक्षेप द्वारा ।
नॉट ऑफिशल योग (Not official preparations ). (1) इजेविशनो हायोसीनी हाइपण
डर्मिका ( Injecti) hyoscinto hypodermica. )-राति १००० मिनिम परिशु त जल में ? ग्रेन ( श्राधी रत्ती)।मात्रा-५ से १० मिनिम (बुद).
(२ ) हाइंपोडर्मिक लेमोली ( llypodermie la.mele )-हरएक लेमोली में .... ग्रेन हायोसीनी हाइड्रो ग्रोमाइड होता है।
(३) गटो हायां सीनी (Guttan hyoscinth) एक ग्राउंस परिश्रुत जल में २ ग्रेन हायोसीन हाइड्रोयोमाइड होता है।
(५) आप मक डिस्क्स (Ophthalmic Dises)-प्रत्येक डिस्क में, ..से.. ग्रेन हायोसीन हाइड़ानोमाइड होता है। हायोलीनी हाइडोनमाइड के प्रभाव
तथा प्रयोग यह अधिक विषैला है और प्रभाव में धतूरीन (पेट्रोपीन) से जिससे रसायनवाद के अनुसार यह इतना निकट का सम्बन्ध रखता है, किसी किसी बात में भिन्न होता है। यह सशक श्रवसादक तथा निद्वाजनक है और इसमें धतूरीन (ऐट्रोपीन ) के समान हृदयोजक प्रभाव नहीं पाया जाता, एवं इससे मस्तिष्क के बहकलस्थ गत्युत्पादक सेल मिल हो जाते हैं। इसे २२० ग्रेन को मात्रा में उपयोग करने से ऊँघ, सुस्ती, स्तब्धता तथा प्रकट रूप से स्वाभाविक निद्रा शीघ्र या जाती है और जागने पर रोगी अपने को भला चङ्गा मालूम करता है । कुछ समय के लिए कंठ में केवल कुछ शुष्कता शेष रह जाती है। पागलपन ( मेनिया) तथा अनेक प्रकार के मानसिक दिकारों के लिए यह सर्वोत्तम निद्राजनक औषध है । उक्र प्रौषध को स्वचा के नीचे अन्तःक्षेप करने से सबातम प्रभाव होता है। परन्तु किसी किसी रोगी में इसके प्रभाव के प्रहश को क्षमता अधिक होती है। अस्तु, इसे ... ग्रेन से अधिक की मात्रा से प्रारम्भ न २०० कराना ही उत्तम है । इससे तीपण उन्माद, जैसा
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