________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
दूसरा धन्यवाद श्रीमान् (भक्त) लाला मुरारीलालजी व श्रीमान् लाला चरणदासजो को है । ये दोनों भाई पटियाला निवासी श्रीमान् लाला जगतरामजी के भतीजे हैं।
श्रीमान् लाला जगतरामजी के एक छोटे भाई लाला कुन्दनलालजी थे । श्रीमान् भक्त लाला मुरारीलालजी और श्रीमान लाला चरणदासजी उन्हीं के सुपुत्र हैं । श्रीमान भक्त लाला मुरारीलाजी के सुपुत्र श्रीमान् श्यामलालजी हैं।
श्रीमान लाला जगतरामजी एक प्रसिद्ध व्यापारी थे। श्राप की आजकल विभिन्न स्थानों में पाँच दुकानें चल रही हैं। आप एक माननीय जैन गृहस्थ थे।
पाठकों को जान कर आनन्द होगा कि श्रीमदनुयोगद्वार सूत्र का यह शेषांश "उत्तरार्ध' के नाम से उन्हीं श्रीमान् लाला जगतरामजी को स्मृति में उन के भतीजे श्रीमान (भक्त) लाला मुरारीलालजी और श्रीमान् लाला चरणदासजी ने प्रकाशित करवा कर परम पुण्य उपार्जन किया है।
एतदर्थ हम श्रीमान लाला (भक्त) मुरारीलालजी और श्रीमान् लाला चरणदासजी को हार्दिक भावों से धन्यवाद देते हैं और साथ ही प्रत्येक जैन बन्धु से सानुरोध निवेदन करते हैं कि वे उक्त महानुभावों का अनुकरण करके श्रीभगवद्भाषित शास्त्रों का जनता में प्रचार करके मोक्षादि के अधिकारी बने।
इस सूत्र का पूर्वार्द्व आज से १०-१२ वर्ष पहिले जिस रंग ढंग से प्रकाशित हुआ था उसी रंग ढंग से उसके उत्तरार्द्ध को भी प्रकाशित किया गया है । और आगे जो सूत्र उपाध्यायजा लिख रहे हैं वे सब मूल पाठ, संस्कृत छाया, शब्दाथ, भावार्थ, सरल हिन्दी विशषार्थ और टिप्पणी आदि सहित लिख रहे हैं । इस समय श्रादशवैकालिकसूत्र तो हैदराबाद निवासी लालाजी ज्वालाप्रसादजी को उदारता से छप रहा है और 'श्रीउत्तराध्ययन सूत्र' भी लिखा रखा है। श्राशा है कोई धर्मसाहित्य प्रेमो उस के प्रकाशित कराने का भार लाला कालाप्रसादजी के समान लेकर अपने धर्मप्रेम और साहित्यप्रेम का परिचय देंगे । अन्त में विदन है कि
इस सूत्र में दृष्टि दोष से पृफसंशोधकों की भूल से या असवज्ञता के कारण कोई .. दोष रह गया हो तो विद्वान् सूचित करने की कृपा करें, जिस से भविष्य में उस के सुधार का ध्यान रखा जाय ।
__ भवदीयदीपावली
गूजरमल प्यारेलाल जैन, सं० १६८८ वि. (
) . . . . . . . चौड़ा बाजार-लुधियाना।
For Private and Personal Use Only