________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 488 सचिते अचिते मीसए // 4 // से किं तं सचित्त दव्वखंधे ? सचित्ते दव्यखंधे-अणेग विहे पण्णत्ते तंजहा-हयखंधे, गयखंधे, नरखंधे, किन्नरखंधे, किंपुरिसखंधे, महोरग खंधे, गंधव्वखंधे, उसभखंधे, से तं सचिते दव्वखंधे // 5 // से किं तं अचित्ते दन्वखंधे ? अचित्ते दव्वखंधे अणेगविहे षण्णत्ते तंजहा-दुपएसिए तिपएसिए जाव दसपएसिए सखिजपएसिए असखिजपएसिए अणंतपएसिए, से तं अचित्ते दबखंधे // 6 // से किं तं मीसए दव्वखंधे ? मीसए दव्वखंघे अणेगविहे पण्णत्ते तंजहासचित्त, अचित्त व मीश्र // 4 // अहो भगवन् ! अचित्त स्कंध किसे कहते हैं ? अहो गौतम ! सचित्त का स्कंध, मनुष्य का स्कंध, किन्नर का स्कंध, किंपुरुष का स्कंध, महोरग का स्कंध, गंधर्व का स्कंध, व वृषभ का स्कंध इत्यादि स्कंध को सचिन द्रव्य स्कंध कहना // 5 // अहो भगवन् ! अचित्त द्रव्य स्कंध किसे कहते हैं ? अो शिष्य ! अचित्त द्रव्य स्कंध के अनेक भेद कहे हैं. तद्यथा-द्विपदेशिक त्रि प्रदेशिक यावत् दश प्रदेशिक स्कंध, o संख्यात प्रदेशिक, असंख्यात प्रदेशीक व अनंत प्रदेशिक स्कंध. यह अचित्त द्रव्य स्कंध दुवा // 6 // ala | अहो भगवन् ! मीश्र द्रव्य स्कंध किसे कहते हैं ? अहो गौतम! मीश्र द्रव्य स्कंध अनेक प्रकार से ઈ 488+ एकत्रिंशत्तम-अनुयोगद्वार सूत्र चतुर्थ 88 स्कंध पर चार निक्षेपे 4884889 For Private and Personal Use Only