________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir अनुवादक बालब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी + दव्या पण्णता ? गोयमा ! दुविहा पण्णत्ता तंजहा-जीव दव्वाय अजीव दव्वाय // 45 // अजीव दवाणं भंते ! कतिविहा पण्णता ? गोयमा ! दुविहा पण्णत्ता तंअहा-रूवी अजीव दव्याय, अरूवी अजीव दव्वाय // 46 // अरूवी दवाणं भंते ! कति वहा पण्णता ? गोयमा ! दस विह पण्णते तंजहा-धम्मत्थिकाए, धम्मात्थकायस्स देसा, धम्मत्थि कायस पदेसा; अधम्मत्थिकाय, अधम्मत्थि कायस्स देसा,अधम्मत्थि कायस्स पदेसा,आगसत्थिकाए.आगासत्थिकायस्स देसा,आगासात्थका यस्स पएसा, अद्धा समए // 4 // रूवी अजीव दव्वाणं भंते! कतिविहा पण्णत्ता गोयमा! शिष्य ! दृष्टीवाद में द्रव्य दो प्रकार के कहे हैं तद्यथा-१ जीव द्रव्य और 2 अजीव द्रव्य // 45 // अहो भगवन् ! अजीव द्रव्य कितने प्रकार के कहे हैं. अहो शिष्य ! अजीव द्रव्य दो प्रकार के कहे हैं तद्यथा-रूपी अनीव द्रव्य और अरूपी अजीव द्रव्य // 4 // अहो भगवन् ! परूपी अजीव द्रव्य कितने प्रकार के कहे हैं? अहो शिष्य ! अरूपी अजीव द्रव्य दश प्रकार के कहे हैं. तद्यथा१ धर्मास्ति काया,२धर्मास्ति काया के देश, ३घस्ति काया के प्रदेश 4 अधर्यास्ति काया,५अधर्मास्ति क्राप के देश, ६अधर्मास्ति काया के प्रदेश, 7 आकास्ति काया, 8 आकास्ति काया के देश, 9 आकास्ति काथा के प्रदेश. और 10 अद्धासमयकाल // 47 / / अहो भगवन् ! रूपी अजीव द्रव्य के कितने प्रकार कहे हैं। प्रकाशक-राजाबहादुर लाला एखदेवसहायजी पवालाप्रसादनी* म For Private and Personal Use Only