________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मुनि श्री अमोलक ऋषिजीअनुवादक बालब्रह्मचारी जोयण कोडाकोडीगढी सेढीय गुणिता पयरं, पयर सेढीयगुणिया लोग, संखेजेणं लोगोगाणि: सखजालागा, अलखजेण लोगो गुणिउ असंखेजा लोगा, अणतेणं लोगो गाण: अंत लोगा // एएपिणं सेढी अंगुल पयरंगुल घणंगुलाणं कयरे 2 हिंतो अप्पाबा बहुयावा तुल्लावा विसेसाहियावा ? सव्वत्थोवा सेढी अंगुलै, पयरंगले असंखज्जगुणे, घगुले असंखेजगुणे // से तं प्पमाणं गुले // से तं वि तद्यथा-१ सूची अंगुल, 2 प्रतर अंगुल, और 3 घनांगुल इस में से असंख्यात कोडाकोडी योजन श्रेणि कहे उस श्रेणि से योजन गुनाकारकरे, उसे प्रतर की श्रेणि से गुनाकार करे तब लोक होवे, उसे संख्यात लोक से गुने तब अलोक में अंख्यात लोक की कल्पना होवे, उसे असंख्यात लोक से गनाकार करे, तव असंख्यात लोक की कल्पना होवे. उसे अनंत लोक से गुनाकार करे नब अलोक में अनंत लोक की कल्पना होवे.x अहो भगवन् ! इस सेडी अंगुल. प्रतर अंगल, घनांगल में कौन 2 थोडा ज्यादा तुला विशेष है ? अटो शिष्य ! सब से थोडा सेंही अंगुल, उस से प्रतर अंगुल असंख्यात गुना, उस से घन अंगुल असंख्यात गुना. यह म.ण अंगुल कहा. और यह विभाग प्रकाशक-राजावहादुर लाला मुखदवसहायजा ज्वालामसादजीक x अनंत लोक के आकाश प्रदेश जितने निगोद के एक शरीर में जीन है, For Private and Personal Use Only