________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir 4. अनुवादक नाल ब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी. दुविहे पन्नत्ते तंजहा. साइय पारिणामिय, अणादिय पारिणामिय / से किं तं सादि पारिणामिय ! सादि पारिणामिय अणेगविहे पण्णत्तं तंजहा-जुन्नासुरा, जुण्णगुलो, जुण्णंघयं, जुण्णंतंदुला चेव, अझाया. अज्झरुक्खा, संझा, गंधव्यणगगय, उसावाया, दिसा दाहा, गजियं, विज्जु, निग्घाया. जुया, जक्खलिता, धूमिया, महिया, रउग्घाओ, चंदोवरागा, सूरोवरागा, चंदपरिबसा, सूरपरिवेता, पडिचंदा, पडिसूरा इंदधण, उदगमच्छी, कविहमिया, अमोहा, वासा, वासधरा, गामा, गग, धारा, पवत्ता, पाताला, भवणा, निरया, पासाओ, रयणप्पहा, सकरप्पहा, वालुयप्पहा, पारिणामिक भाव किसे कहते हैं ? अहो शिष्य ! परिणकि भाव के दो भेद कहे हैं तद्यथा-सादि पाणामिक व अनादि पारिणामिक. इस में से सादि पारिणामिक किसे कहते हैं? अहो शिष्य: सादि पारिणामिक के अनेक भेद कहे हैं तद्यथा-पुगनी मदिग, पुगमा गड, पुगना घृत. पुराने नंदुल, बद्दल, वृक्षाकार बदल, संध्या रंग, गर्व नगर. उल्कापात, दिशादाह. गरव, विद्यत् , काष्ट का इब्द, घून, यक्ष चिन्ह. धूम्र, धुंधर, रजघात, चंद्र ग्रहण. मूर्य ग्रहण, चंद्र कुंडल सूर्य कुंडल प्रतिचंद्र, प्रतिसूर्य, जे इन्द्र धनुष्य, उदक मत्स्य, आकाश में कपि का सना अमोघ भरतादि क्षेत्र, क्षेत्र की मर्यादा करनेबाला वर्षधर पर्वत, ग्राम, नगर, घर, पर्वत, पातालकलश, भवन, नरकावास, प्रासाद, रत्नप्रभा, शर्करा प्रकाशक-राजाबहादुर लाला सुखदेवसहायनी चालमिसादमी, For Private and Personal Use Only