________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ब्रह्मचारी मुनि श्री अमोलक ऋषिजी दसणावरणिज कम्मविप्पमुक्के, 3 खीणसायावेयाणिजे, खीण असायावेयणिजे, अवेयणे निवेयणे, खीणवेयणे, सुभासुभवेयणिज्ज विष्पमुक्के, 4 खीण कोहे जाव खीण लोहे, खोणपेजे, खीणदोसे, खीणदसण मोहणिजे, खीणचरित मोहपिजे, अमोहे 128 णिमोहे खीणमोहे मोहणिज कम्म विडमके, 5 खीणनेरइय आउए. खी निरिकस जोणियाउए, खीमणुम्ला र, रखीणदेवाए. अपाए निराकर खाणाउए आजम्म विरमक. 6 गतिजानि मरीर अंगावन बेधण ठाण मंपण अणेगा कादीबंध संघायविपमुके. रणसुमनाने खीण अनु नाम अमन, निया नामे. सा. सुभणामका विप्पमुक, 7 जन स्वगोड खाणणीयागाए, अगाए किए केवल दर्शनावरण के क्षय करनेवाले भावरण सहित निगरमी व दर्शनार पाकिसे रहित होते हैं.-- साता वेदनीय, असाता वेदनीय के क्षय करनेवाले विनायक करनेवाले होते हैं 4 क्षीमधले टाकले निकाल कर नाले / मोह रहित होगमोहन यादव मेवारे, आयुष्य रहित व आयुष्य के क्षय करनेवाले होते 6 मति जन.शरीर अंगानगरपान, धान, संघयण, संघात से राहेत शुभ नाम व अशुम नान क्षष कानेवाले, नाम कई रहित व शुभाशुभ काम क.क राजाविहारलाल मलदवसााद-उनालाजी For Private and Personal Use Only