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४९९ अमृतसागर तथा प्रतापसागर तरंग २२. अभ्रक यांसारांकीबरावरि अफीम पाडेयांसारानमिहीवार मूं प्रमाएागोलीकरै पालैगोली १ तथा २ लेतवीर्यपडे नहीं अथना गार्जुनीगुरिकालिंगलेपकी लि• वीशियांकपूर सुहागो पारो येबराबरिले पाछेयांमैगध्या कोरस सहतयोर्मेदिन १ परलक रै पाछेलिंगलेपकरैपहर राधे पाडेलिंगचोयनाथै पास्त्री संसंग करैतवीर्यमोडो पडे थपडीलिंग लेय कीलि० सुपेद कंडीरकीजडकीबकल चाकल करो अजमोद कालाधतूराकाबी ज जायफल यांसारांनैजल मिहीनांटिभिरचिप्रमागोलीचां धे पाछैगोली १ मनुष्यकासून सूंघ सिलिंगले पकरैतीनपुंसकप पोंजाय वार्यमोडोपडे अथवा सूरकोघृत सहन यांदोज्यानैपरल मैघसिलिंगलेपकरैमहीनां नाईनो लिंगकीकसरसारी थवा सुपेदकंडीरकीजडकीहाल तीनें दूध में जमायतका पा छैईघृनमैंगोहरो जायफल अफीम जमालगोटो अनुमानमाफि कमिलायलिंगलेपदिन ७ करें ऊपरपान बांधे ब्रम्हचर्यरतनपूं सकपणजाय इतिश्रीबाजीकरणाधिकार नपुंसकपणांका इरिकरि वाकासंपूर्णम् इतिश्रीमन्महाराजाभ्रिाजमहा राजराजराजेंद्र श्रीसवाईवापसिंहजीविरचितेप्रमृत
सागरनामग्रंथेनपुंसकपणांकारिकरि वाकालक्षणभेदे संयुक्तजतननिरूपणनामद्वाविंशेतिमस्त रंगः संपूर्ण २२ अथसरीर की पुष्टाईकाजतनबुदापाने दूरि करि बाकासातू धान सातउपभात परचंद्रोदयनैं आदिलेररसत्यांकीक्रिया रवांकापावा की विधिलिष्यते सोनों रूपो २ तांबो ३ पान ल ४ सीसो५रांग६ लोह७ प्रथमृगांककी विधिलिष्यते
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