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३७३ अमृतसागर तथा प्रतापसागरतरंग १५ काषमैहोय हाथ होय पगमैहोय गलामेंहोय यांस्थानामेंकी कैयाकारजोगांडिहोय ऊपथ्यकाकश्चिावालाकै पाडैवागांटिव धेतीकाअनेकमुषहोय यांमुषांमैराधिनीसरेअरपामैपीडहोय अरवारंचीहोय अरवाधिसर्परोगकीसीनाईफेलिजाय ईकोज तनछैनहीं अथइनामफरासीकोलक्षासिष्यते कमलकेविचेवेंकर्णिकामैकमलगटारहेछै नाकारतान स्यांहोयचोफेर धावायपित्त ठीछे तीनैंसरनामफासी कहिजै ७ अथगर्दभिकाफणसातीकोलक्षगलिष्यते मंडलकैयाकारगोलहोय अरउंजीहोयअरलालहोय अरवें मेंपीडहोययावायपित्त उपजी ईनेगर्दभिकाफुगसीफहि जैस् अथपाषाएगर्दभरासीनीकोलक्षएलिष्यते यादाटीकासंधिमैहोयसोजानेंलीयां वास्थिरहोय ईमैंपीडमंद होय अरयाचीकाहोय ईनपाषाएगर्दभफुरासीकहिजे ९ अथपुनसिकाफुपसीनीकोलक्षएतिः कानफैक्वेिहो य मैंपीडपणीहोय परवास्थिरहोययावायकफसंउपजी डै ईनैपनसिकाकहिजे १० अथजालगर्दभरासीतीको लक्षगलिष्यतेजोसोजोपहलीथाडोहोयरोधिसर्पकी सीनाईफेलिजाय अरोपकैनहींबरोदाहजुरनैफरेछे योपित्त उपजैछै तीनेजालगर्दमफुसीकहिजे" अथ इरवेल्लिकाफुरासीनीकोलक्षगलि जोमस्तकमैंगोला एसीहोय अरजीमेपाडगीहोयजुरनैलीयां यासन्निपातसू. होय? ईनरपेल्लिकाहिजेर अथकाषोलाईकोजतन लक्षरालि मुजाकाएकदेशमैं अथवा पसवाडाकएकदेश में
होय नाकाफएसयास्थिरहा
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