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अंवम
चरित्र
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॥ श्रीजिनाय नमः॥ ॥ अथ श्रीअंबमचरित्रं प्रारभ्यते ॥
( कर्ता श्रीअमरमूरिपंडित ) उपावी प्रसिह करनार पंडित श्रावक हीरालाल हंसराज ( जामनगरबाळा)
पांतु वः श्रीमहावीर-स्वामिनो देशनागिरः ॥ नव्यानामांतरमल-प्रक्षालनजलोपमाः ॥१॥ प्रणम्य परया भुक्त्या । हंसयानां सरस्वती ॥ तस्याः प्रसादमासाद्य | करिष्यामि कथामिमां ॥॥ धर्मात्संपद्यते लक्ष्मी-धर्मापमनिंदितं ॥ धर्मात्सौन्नाग्यन्नाग्ये च । धर्मात्सर्वं समीहितं ॥ ३॥ अथ धर्मोपरि अंबडक्षत्रियसंबंधः कथ्यते-अस्मिन् लरतकेत्रे श्रीवासनगरं, तत्र विक्रमसिंहो राजा राज्यं करोति. अन्यदा प्रस्तावे राजा राजसन्नायामुपवि
टोऽस्ति, तदा एकः पुरुषः समागत; राज्ञा पृष्टं नोस्त्वं कः ? केन कारणेन चात्रायातः ? ते| नोक्तं हे राजन शृणु ? श्रीगोरखयोगिनी, तस्या ध्यानकुंडलिकासमीपे निधानमस्ति. इदं
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