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भाकृति निदान
- पाखाना पतला और खूनदार कभी न होना चाहिये, उसमें कीड़े
भी न पड़े रहने चाहिये ।
जैसे कड़ा, गोल, काला दस्त बीमारोको पहचान है वैसे ही पतला दस्त भी हमेशा रोगका चिह्न है ।
त्वचा स्वस्थ मनुष्य के चमड़ेसे बदबू न निकलना चाहिये । यथा उसका चमड़ा उन जानवरोंके चमड़ेकी तरह न होना चाहिये जो दूसरे पशुओंका मांस खाते हैं। खासकर त्वचाकी दुर्गन्धि वैसी कभी न होनी चाहिये जैसी लाश खानेवाले जानवरोंकी होती है । चपड़े नर्मी तो होनी चाहिये पर उसमें गीलापन न होना चाहिये । छूने में कुछ गरम और ऊपरी तल सुन्दर, चिकना, और लोचदार होना चाहिये । बालवाले अङ्ग सुन्दर बालोंसे अच्छी तरह ढके रहने चाहिये क्योंकि गंजापन रोगी शरीरकी पहचान है ।
फेफड़े - स्वस्थ शरीर में फेफड़े अपना काम बिना किसी कठिनाई करते हैं । हवा नाकके द्वारा भीतर जानी चाहिये, प्रकृतिने नाकको सांस लेनेके ही लिये बनाया है । दिन में सोते हुए मुँह खुला रखनेके स्वभावसे बीमारीकी पहचान होती है । जब स्वस्थ मनुष्य मेहनतका काम करता है, उसके शरीरमें थकावट होते ही पता लग जाता है कि अब वह उचित अधिक परिश्रम कर रहा है, पर स्वस्थ मनुष्यकी थकावट कभी कष्टकर नहीं होती । उससे ऐसा आराम मिलता है कि आदमी सुखकी नींद सो सकता है । स्वस्थ
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