________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www. kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
आकृति निदान क्या है
पड़ेगी। भोजन को पचाना और शरीर के भीतरी मलको बाहर निकालना जीव के लिये आवश्यक काम है । स्वस्थ मनुष्यको भूख लगती है और यह भूख प्राकृतिक खुराकसे भली भांति दूर हो जाती है। पेटको ठूस ठूसकर भरनेसे एक तरह की पीड़ा देनेवाला भाव शरीर में उत्पन्न होता है, पर प्राकृतिक खुराकने ऐसा नहीं होता । पेटके अन्दर पचानेका काम आप ही आप ऐसी शान्तिसे जारी रहता है कि मनुष्य को पतातक नहीं लगता । खानेके बाद किसी तरहका भारीपन अनुभव करना और कोई चटपटी चीज खाने या कोई तेज चीज पीने की इच्छा करना प्रकृतिविरुद्ध है, रोगका चिह्न है । प्यास बुझानेके लिये केवल सादे पानीकी इच्छा होना ही आवश्यक है ।
मत्र - पेशाब गुर्दे या वृकसे बनकर मूत्राशय में आता है। पेशाब के समय किसी प्रकारकी पीड़ा या उसमें अधिक गर्मी न होनी चाहिये । रंग. अम्बरी या सूखे पयालका सा होना चाहिये । पेशाब करने के बाद जिस जगह पेशाब किया जाय वहाँ कोई बालूदार और सफुफ जैसी चीज भी नजम जानी चाहिये। उसकी महक न तो मीठी और न कड़वी होनी चाहिये ।
मल - स्वस्थ मनुष्यका मल गोल और लम्बी शक्तका होता है । मल बँधा होना चाहिये, पर साथ ही कड़ा न होना चाहिये । स्वस्थ मनुष्यका मल गुदाद्वार से इस तरह निकलता है कि वह भङ्ग बिलकुल गन्दा नहीं होने पाता । साधारणतः पाखाने की रंगत हरी और सफेद नहीं बल्कि बादामी और भूरी होनी चाहिये,
For Private And Personal Use Only