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भाकृति-निदान क्या है मनुष्यकी निद्रा मधुर, शान्त और निर्विघ्न होती है । जागनेपर स्वस्थ मनुष्य प्रसन्न, तत्पर और सन्तुष्ट जान पड़ता है. उसाआलस्य या चिड़चिड़ापन नहीं होता। स्वस्थ मनुष्यको कभी भाकस्मिक गम्भीर मानसिक पीड़ा होनेपर भी वह शीघ्र ही फिर प्रसन्नचित हो जाता है। प्रकृतिने हमें आँसू इसीलिये दिये हैं जिसमें हम दो चार बूद आँसू बहाकर अपने दिलके बोझको हलका करें।
इन सब चिह्नोंको आप इन्द्रियोंद्वारा, किसी कृत्रिम उपायके बिना सहज ही अनुभव कर सकते हैं : इसमें से अधिकतर चिह्न तो आप आँखोंसे ही देख सकते हैं। ___ इन सब बातों की परीक्षा बोवित मनुष्योंपर की गयी है।
आप इसकी सच्चाईकी परख अब चाहें स्वयं कर सकते हैं। किसी मुर्दे पर जाँच करनेसे वास्तविक तात्पर्य सिद्ध नहीं हो सकता। जो मनुष्य उपर्युक्त रीतिसे पूर्ण स्वस्थ है उसके शरीरकी बनावट अवश्य ही ठीक तरहकी होती है अर्थात् उसके शरीरमें कोई विजातीय द्रव्य नहीं रहता।
अबतक मैंने एक भी पूरी तरहसे स्वस्थ मनुष्य नहीं देखा। हाँ, साधारण स्वस्थ मनुष्य प्रायः मिले हैं। इन्हींपर जाँच करके मैंने पता लगाया है कि स्वाभाविक रूपसे शरीरकी बनावट कैसी होनी चाहिये। स्वस्थ मनुष्य की आकृति सौन्दर्य में आदर्शतक बहुत कुछ पहुँचती है। यवनानके पुराने कारीगर और मूर्तिकारोंकी सच्ची सुन्दर मूर्तियाँ मिलती हैं। उन मूर्तियोंकी
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